अम्बाबाई का 'आरोग्य व्रत' और तंत्रवेद में उसका महत्व -1-🛡️🌿🙏

Started by Atul Kaviraje, August 02, 2025, 10:16:25 AM

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Atul Kaviraje

अम्बाबाई का 'आरोग्य व्रत' और तंत्रवेद में उसका महत्व-
(अम्बाबाई के 'स्वास्थ्य व्रत' और तांत्रिक शास्त्रों में उनका महत्व)
(अम्बाबाई की 'स्वास्थ्य प्रतिज्ञा' और तांत्रिक ग्रंथों में उनका महत्व)
(Ambabai's 'Health Vows' and Their Importance in Tantric Scriptures)
Importance of Amba Bai's 'Arogya Vrat' and Tantra Veda-

अम्बाबाई का 'आरोग्य व्रत' और तंत्रवेद में उसका महत्व 🛡�🌿🙏
अम्बाबाई, जिन्हें महालक्ष्मी के रूप में भी पूजा जाता है, एक ऐसी दैवीय शक्ति हैं जो न केवल धन और समृद्धि प्रदान करती हैं, बल्कि स्वास्थ्य और कल्याण की भी प्रतीक हैं। उनके 'आरोग्य व्रत' का पालन करने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है, जिसका तंत्रशास्त्र में गहरा महत्व है। यह लेख अम्बाबाई के आरोग्य व्रत के विभिन्न पहलुओं और तंत्रवेद में इसके महत्व पर विस्तृत प्रकाश डालता है।

1. आरोग्य व्रत का अर्थ और संकल्प 🌟
आरोग्य व्रत का शाब्दिक अर्थ है स्वास्थ्य के लिए लिया गया संकल्प। यह केवल शारीरिक बीमारियों से मुक्ति पाने का व्रत नहीं है, बल्कि समग्र कल्याण (होलेस्टिक वेल-बीइंग) के लिए एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है। इस व्रत में भक्त अम्बाबाई से उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु और निरोगी जीवन की कामना करते हैं। यह संकल्प व्यक्ति को अनुशासन और आत्म-नियंत्रण सिखाता है।

उदाहरण: एक भक्त जो बार-बार बीमारियों से ग्रस्त रहता है, वह आरोग्य व्रत का संकल्प ले सकता है ताकि उसे शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिले और वह अधिक ऊर्जावान महसूस करे। 🙏

2. अम्बाबाई और स्वास्थ्य का संबंध 💖
अम्बाबाई को आद्यशक्ति और जीवनदायिनी के रूप में पूजा जाता है। वे ब्रह्मांड की रचनात्मक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनके आशीर्वाद से जीवन में संतुलन आता है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बना रहता है। उन्हें अक्सर हाथों में कमल और फल धारण किए हुए दिखाया जाता है, जो शुद्धता, उर्वरता और पोषण के प्रतीक हैं – ये सभी उत्तम स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।

उदाहरण: प्राचीन ग्रंथों में वर्णित है कि देवी के ध्यान से शरीर के सप्त चक्र (मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा, सहस्रार) जागृत होते हैं, जिससे प्राण ऊर्जा का प्रवाह सुचारु होता है। 🧘�♀️

3. तंत्रशास्त्र में आरोग्य का महत्व 🕉�
तंत्रशास्त्र केवल चमत्कार या जादू टोना नहीं है, बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा के समन्वय का विज्ञान है। तंत्र में, स्वास्थ्य को केवल बीमारियों की अनुपस्थिति के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि प्राण ऊर्जा के निर्बाध प्रवाह और आंतरिक संतुलन के रूप में देखा जाता है। तंत्र मानता है कि स्वस्थ शरीर ही उच्च आध्यात्मिक अनुष्ठानों और साधनाओं के लिए एक उपयुक्त माध्यम है।

उदाहरण: तंत्र में षट्चक्र भेदन और नाड़ी शुद्धि जैसी क्रियाएं आरोग्य को प्राप्त करने और बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। 💫

4. आरोग्य व्रत के अनुष्ठानिक पहलू 🕯�
अम्बाबाई का आरोग्य व्रत विशेष तिथियों पर किया जाता है, जैसे नवरात्रि, शुक्रवार, या अन्य शुभ मुहूर्त। इसमें देवी की पूजा-अर्चना, मंत्र जाप, ध्यान और कभी-कभी उपवास भी शामिल होता है।

सामग्री: देवी को लाल पुष्प, कुमकुम, हल्दी, सुगंधित द्रव्य और सात्विक भोग (जैसे खीर या फल) अर्पित किए जाते हैं।

मंत्र: "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्म्यै नमः" जैसे मंत्रों का जाप किया जाता है, जो देवी के ऊर्जा स्वरूप को जागृत करते हैं।

उदाहरण: भक्त सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं, देवी की प्रतिमा स्थापित करते हैं, और फिर पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं, जिसमें आरती और प्रसाद वितरण भी शामिल है। 🔔

5. तंत्रवेद में आरोग्य मंत्र और यंत्र ⚛️
तंत्रशास्त्र में अम्बाबाई से संबंधित कई आरोग्य मंत्र और यंत्र बताए गए हैं। इन मंत्रों के निरंतर जाप और यंत्रों के उपयोग से व्यक्ति के चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा कवच बनता है, जो उसे रोगों और नकारात्मक प्रभावों से बचाता है।

उदाहरण: "ह्रीं आरोग्यदात्र्यै महालक्ष्म्यै नमः" जैसे मंत्र का जाप आरोग्य प्राप्ति के लिए विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है। श्री यंत्र को भी आरोग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। 🛡�

यंत्र प्रतीक: 🪬 (नजर से बचाने वाला)

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-01.08.2025-शुक्रवार.
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