1 अगस्त, 2025: दुर्गाष्टमी, दुर्वाष्टमी और जरा-जीवन्तिका पूजन का पावन पर्व-

Started by Atul Kaviraje, August 02, 2025, 10:40:17 AM

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Atul Kaviraje

1-दुर्गाष्टमी-

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1 अगस्त, 2025: दुर्गाष्टमी, दुर्वाष्टमी और जरा-जीवन्तिका पूजन का पावन पर्व
आज, 1 अगस्त, 2025, शुक्रवार का दिन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व से ओतप्रोत है। इस दिन तीन महत्वपूर्ण पर्व मनाए जा रहे हैं: दुर्गाष्टमी, दुर्वाष्टमी और जरा-जीवन्तिका पूजन। ये पर्व हमें शक्ति, प्रकृति और मातृत्व के विभिन्न रूपों का सम्मान करना सिखाते हैं। आइए इन पर्वों के महत्व को विस्तार से समझते हैं। 🙏

इस दिन का महत्व और भक्तिभाव पूर्ण विवेचन (10 मुख्य बिंदु)

दुर्गाष्टमी का महत्व: 🌸
दुर्गाष्टमी, जिसे मासिक दुर्गाष्टमी या मास दुर्गाष्टमी भी कहा जाता है, हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों में से एक की पूजा को समर्पित है। भक्त माँ दुर्गा से शक्ति, समृद्धि और बुराई पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं। यह दिन नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने और जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखने और माँ दुर्गा की आराधना करने से भक्तों को विशेष फल प्राप्त होते हैं।

दुर्गाष्टमी पर पूजा विधि: 🔔
इस दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित की जाती है। पूजा में लाल फूल, रोली, चंदन, धूप, दीप और मिठाई का उपयोग किया जाता है। दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। कई घरों में कन्या पूजन भी किया जाता है, जहाँ छोटी कन्याओं को देवी का रूप मानकर भोजन कराया जाता है और उपहार दिए जाते हैं। यह भक्ति और समर्पण का प्रतीक है।

दुर्वाष्टमी का महत्व: 🌿
दुर्वाष्टमी का पर्व मुख्य रूप से भगवान गणेश और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है। इस दिन दूर्वा (एक प्रकार की घास) की पूजा की जाती है। दूर्वा को पवित्र और शुभ माना जाता है और यह भगवान गणेश को अत्यंत प्रिय है। ऐसी मान्यता है कि दूर्वा में त्रिदेवी (लक्ष्मी, सरस्वती, पार्वती) और त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का वास होता है। इस दिन दूर्वा की पूजा करने से संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

दुर्वाष्टमी पर पूजा विधि: 🌾
दुर्वाष्टमी के दिन, महिलाएं विशेष रूप से दूर्वा घास को इकट्ठा करती हैं और उन्हें पवित्र जल से धोकर साफ करती हैं। फिर, दूर्वा के 21 गांठों को बनाकर भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है। पूजा में मोदक, लड्डू और अन्य मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। यह पर्व प्रकृति के संरक्षण और उसके प्रति आभार व्यक्त करने का संदेश देता है, क्योंकि दूर्वा का उपयोग कई औषधीय और धार्मिक उद्देश्यों के लिए होता है।

जरा-जीवन्तिका पूजन का महत्व: 👶
जरा-जीवन्तिका पूजन एक महत्वपूर्ण पर्व है जो विशेष रूप से बच्चों के स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए माताओं द्वारा किया जाता है। जरा देवी को बच्चों की रक्षक देवी माना जाता है, जो उन्हें बीमारियों और बुरी शक्तियों से बचाती हैं। जीवन्तिका व्रत भी इसी दिन रखा जाता है, जिसका उद्देश्य बच्चों के जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि लाना है। यह पर्व माताओं के निस्वार्थ प्रेम और अपने बच्चों के कल्याण के लिए उनकी प्रार्थनाओं का प्रतीक है।

जरा-जीवन्तिका पूजन की विधि: 🙏
इस पूजन में, माताएं जरा देवी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करती हैं। पूजा में चावल, फूल, फल, दीपक और धूप का उपयोग किया जाता है। बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। कई स्थानों पर, इस दिन विशेष कहानियाँ भी सुनाई जाती हैं जो जरा देवी की महिमा और बच्चों की रक्षा करने की उनकी शक्ति को बताती हैं। यह पर्व पारिवारिक मूल्यों और बच्चों के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

तीनों पर्वों का संयुक्त संदेश: 🤝
1 अगस्त, 2025 को मनाए जा रहे ये तीनों पर्व हमें प्रकृति, शक्ति और मातृत्व के बीच एक गहरा संबंध दिखाते हैं। दुर्गाष्टमी शक्ति का प्रतीक है, दुर्वाष्टमी प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती है, और जरा-जीवन्तिका पूजन बच्चों के स्वास्थ्य और कल्याण पर केंद्रित है। ये सभी पर्व हमें जीवन में सकारात्मकता, कृतज्ञता और प्रेम के महत्व को सिखाते हैं।

आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार: ✨
इन तीनों पर्वों के एक साथ आने से वातावरण में एक विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। भक्त इन दिनों व्रत रखकर, पूजा-अर्चना करके और दान-पुण्य करके अपने मन और आत्मा को शुद्ध करते हैं। यह समय आत्म-चिंतन और ईश्वर से जुड़ने के लिए अत्यंत अनुकूल होता है।

सामाजिक समरसता और एकजुटता: 🧑�🤝�🧑
ये पर्व परिवारों और समुदायों को एक साथ लाते हैं। पूजा-पाठ, कथाएँ और उत्सव एक साथ मिलकर मनाए जाते हैं, जिससे सामाजिक समरसता और एकजुटता बढ़ती है। लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं और खुशियाँ साझा करते हैं, जिससे आपसी भाईचारा मजबूत होता है।

उदाहरण और प्रेरणा: 💖
इन पर्वों के माध्यम से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, हमें हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए और ईश्वर पर विश्वास रखना चाहिए। माँ दुर्गा हमें साहस देती हैं, दूर्वा हमें प्रकृति का सम्मान करना सिखाती है, और जरा-जीवन्तिका पूजन हमें अपने प्रियजनों के लिए निस्वार्थ प्रेम और त्याग की भावना सिखाता है। ये पर्व हमें एक संतुलित और सार्थक जीवन जीने की दिशा में प्रेरित करते हैं।

इमोजी सारांश:
आज का दिन: दुर्गाष्टमी 🌸, दुर्वाष्टमी 🌿, जरा-जीवन्तिका पूजन 👶। शक्ति, प्रकृति और मातृत्व का सम्मान। 🙏 पूजा, भक्ति और बच्चों के लिए प्रार्थना। ✨ परिवार एकजुट और खुश। 💖

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-01.08.2025-शुक्रवार.
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