“भूत देखें/इसे क्या कहें?”🌀 कल्पना और सत्य की अंतरंग वार्ता-

Started by Atul Kaviraje, August 04, 2025, 07:15:47 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

हिंदी कविता — "भूत देखें/इसे क्या कहें?"

(07 चरण, प्रत्येक 4 पंक्तियाँ)

शीर्षक: 🌀 कल्पना और सत्य की अंतरंग वार्ता-

चरण 1
कहते बोले — मैंने भूत देखा,
मन मेरा काँपा, अनुभव तड़का।
पर सत्य बोले — वह भ्रम था संग,
वस्तु नहीं, सिर्फ मस्तिष्क में रंग।

अर्थ: अनुभव कल्पनाशील हो सकता है, वह बाहरी वस्तु नहीं।

इमोजी सारांश: 🌫�😨

चरण 2
मन बोले — डर ने छाया रची,
रात में आवाज़ें झूठी सी चली।
सत्य बोले — आत्मनिरीक्षण कर,
डर-कल्पना से सभी बंध टूट कर।

अर्थ: भय और अज्ञान जब मिलते हैं, तो भ्रम जन्म लेता है; सत्य के पास वही टूटता है।

इमोजी सारांश: 🕯�🔍

चरण 3
मन कहे — "लोग झूठ बोलते क्यों?",
सत्य बोला — "उनके भीतर ही भ्रम का ज्ञान।"
अहंकार भ्रम को सच मान बैठे,
जब सत्य मिले, तो झूठ खुद टूट पड़े।

अर्थ: झूठ जानबूझकर नहीं, बल्कि अनुभव भ्रमित करता है; सत्य प्राप्त होते ही वह टूट जाता है।

इमोजी सारांश: 🤔🔄🔓

चरण 4
सत्य बोले — "ज्ञान ही मेरा प्रकाश है,
भ्रम मिटाता, मन से भय सांझ है।"
जो भूत देखता, वह देखता उसको,
समझ आत्म-विवेक से खुद ऊँचा।

अर्थ: सत्य ज्ञान जीवन की रोशनी है — वह भ्रम और भय को दूर करता है; व्यक्ति स्वयं उस प्रकाश को समझ सकता है।

इमोजी सारांश: 💡🕊�

चरण 5
मन कहे — "क्या कोई जानता ब्रह्म?",
सत्य बोला — "जो सत्य, वही ब्रह्म का तम?"
जब अहंकर झूठ मिटे भीतर,
ब्रह्म‑सत्य भीतर उभरे दृश्य में।

अर्थ: भ्रम वाले अहंकार के विनाश से ब्रह्म और सत्य की अनुभूति होती है।

इमोजी सारांश: 👁�♾️✨

चरण 6
सत्य बोले — "मैं न डर हूं, न कल्पना,
मैं आत्म‑ज्ञान, मैं अनुभव का होना।"
मन से सुसंगत चलो, भय को छोड़ो,
सत्य की ओर सच पहचान जड़ो।

अर्थ: सत्य अनुभव और ज्ञान का मूल है; मानसिक डर को त्यागकर सत्य की ओर चलना चाहिए।

इमोजी सारांश: 🛤�🧘✨

चरण 7
अब भ्रम और सत्य जब संग झूठ से दूर,
मन–भ्रम खाली, मिले आत्म‑सौन्दर्य भूर।
जो कहते देखें भूत — वह झूठ कहे नहीं,
बस भूल का हिस्सा था — जब सच साथ ना हो कहीं।

अर्थ: ऐसा दावा झूठ नहीं था, पर वह सत्य का प्रतिबिंब नहीं; सत्य‑मार्ग पर आने से भ्रम स्वतः समाप्त होता है।

इमोजी सारांश: 🤝✨🕊�

🌟 कुल इमोजी सारांश:
🌫� — भ्रम / कल्पना

😨 — भय

🕯�🔍 — आत्म‑निरीक्षण

💡 — ज्ञान

🕊� — शांति

♾️✨ — सत्य का प्रकाश एवं शाश्वत चेतना

--अतुल परब
--दिनांक-04.08.2025-सोमवार. 
===========================================