4 अगस्त 2025: श्रावणी सोमवार, बरहानपुरे और पद्मनाभ पुण्यतिथि-🕉️🙏🧘‍♂️✨🕌🚩🌿💧

Started by Atul Kaviraje, August 04, 2025, 10:15:50 PM

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Atul Kaviraje

भक्तिभाव पूर्ण दीर्घ हिंदी कविता-

4 अगस्त 2025: श्रावणी सोमवार, बरहानपुरे और पद्मनाभ पुण्यतिथि-

चरण १:
श्रावण का पहला सोमवार, पावन दिन आज आया, (श्रावण का पहला सोमवार, पवित्र दिन आज आया,)
शिव भक्ति में लीन मन, हर हर महादेव गाया। (शिव भक्ति में मन लीन होकर, हर हर महादेव गाया।)
संग पुण्यतिथि संतों की, यह अनुपम संगम, (संतों की पुण्यतिथि के साथ, यह अनुपम संगम है,)
ज्ञान और भक्ति का प्रवाह, भरा है हर दम। (ज्ञान और भक्ति का प्रवाह हर पल भरा है।)
अर्थ: आज श्रावण का पहला पवित्र सोमवार है, जिसमें मन शिव भक्ति में लीन होकर 'हर हर महादेव' का जाप कर रहा है। इस दिन संतों की पुण्यतिथियाँ भी हैं, जो ज्ञान और भक्ति का एक अद्भुत संगम बनाती हैं।

चरण २:
बरहानपुरे महाराज, मडगाँव-वर्धा में पूजे, (बरहानपुरे महाराज की मडगाँव-वर्धा में पूजा होती है,)
सरलता और सेवा से, जग को उन्होंने सूझे। (उन्होंने सरलता और सेवा से दुनिया को समझाया।)
निःस्वार्थ प्रेम उनका, हर हृदय में बसाया, (उनका निःस्वार्थ प्रेम हर हृदय में बसाया,)
पुण्यतिथि पर उनको, हम शीश झुकाया। (पुण्यतिथि पर हमने उनको नमन किया।)
अर्थ: बरहानपुरे महाराज, जिनकी पूजा मडगाँव और वर्धा में होती है, उन्होंने सरलता और सेवा के माध्यम से संसार को रास्ता दिखाया। उनका निःस्वार्थ प्रेम हर हृदय में बस गया है, और उनकी पुण्यतिथि पर हम उन्हें नमन करते हैं।

चरण ३:
पद्मनाभ तीर्थ, गुरुमठबाद की शान, (पद्मनाभ तीर्थ, गुरुमठबाद की शान हैं,)
द्वैत दर्शन के वो, थे ज्ञान महान। (वे द्वैत दर्शन के महान ज्ञानी थे।)
कारवार की भूमि पर, उनकी समाधि आज, (कारवार की भूमि पर उनकी समाधि है आज,)
दिव्य ज्ञान की वर्षा, करते हर साज। (वे हर रूप में दिव्य ज्ञान की वर्षा करते हैं।)
अर्थ: पद्मनाभ तीर्थ, जो गुरुमठबाद की शान हैं, द्वैत दर्शन के महान विद्वान थे। उनकी समाधि आज कारवार की भूमि पर है, और वे हर रूप में दिव्य ज्ञान की वर्षा करते हैं।

चरण ४:
एक ओर शिव का अभिषेक, गंगाजल से करें, (एक ओर शिव का अभिषेक गंगाजल से करें,)
दूसरी ओर संतों का, उपदेश मन में भरें। (दूसरी ओर संतों के उपदेश मन में भरें।)
तिल की शिवमूठ, पापों का हो क्षय, (तिल की शिवमूठ से पापों का क्षय हो,)
आत्मा को मिले शांति, जीवन हो निर्भय। (आत्मा को शांति मिले, जीवन निर्भय हो।)
अर्थ: एक तरफ हम शिव का गंगाजल से अभिषेक कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर संतों के उपदेशों को अपने मन में धारण कर रहे हैं। तिल की शिवमूठ चढ़ाने से पापों का नाश होता है, आत्मा को शांति मिलती है और जीवन भयमुक्त हो जाता है।

चरण ५:
अनुभवों से भरा, यह संतों का जीवन, (यह संतों का जीवन अनुभवों से भरा है,)
दिया हमें उन्होंने, भक्ति का साधन। (उन्होंने हमें भक्ति का साधन दिया है।)
उनके पदचिन्हों पर, हम भी चलें आगे, (उनके पदचिन्हों पर हम भी आगे चलें,)
जीवन का हर क्षण, पुनीत हो जागे। (जीवन का हर क्षण पवित्र हो जाए।)
अर्थ: संतों का जीवन अनुभवों से भरा हुआ है, और उन्होंने हमें भक्ति का मार्ग दिखाया। हमें उनके बताए रास्ते पर चलना चाहिए ताकि जीवन का हर पल पवित्र और जागृत हो सके।

चरण ६:
ज्ञान की ज्योति से, अज्ञान मिटाएँ, (ज्ञान की ज्योति से अज्ञान मिटाएँ,)
प्रेम और सेवा का, संदेश फैलाएँ। (प्रेम और सेवा का संदेश फैलाएँ।)
हर व्यक्ति में देखो, शिव का ही रूप, (हर व्यक्ति में शिव का ही रूप देखो,)
यही है सच्चा धर्म, यही है अनूप। (यही सच्चा धर्म है, यही अनुपम है।)
अर्थ: ज्ञान के प्रकाश से अज्ञान को दूर करें और प्रेम तथा सेवा का संदेश फैलाएं। हर व्यक्ति में भगवान शिव का ही रूप देखें, क्योंकि यही सच्चा और अनुपम धर्म है।

चरण ७:
मंगलमय हो यह दिन, हर दिशा में शुभ हो, (यह दिन मंगलमय हो, हर दिशा में शुभ हो,)
संस्कारों से भरा, हर मन प्रबुद्ध हो। (संस्कारों से भरा, हर मन प्रबुद्ध हो।)
जय जय शिव शंभु, जय जय संत महान, (जय जय शिव शंभु, जय जय संत महान,)
भारत की भूमि पर, इनका ही गुणगान। (भारत की भूमि पर इनका ही गुणगान है।)
अर्थ: यह दिन मंगलमय हो और सभी दिशाओं में शुभता फैले। प्रत्येक मन संस्कारों से भरा और प्रबुद्ध हो। भगवान शिव और महान संतों की जय हो, और भारत की भूमि पर उन्हीं का गुणगान हो।

दृश्य और इमोजी

शिवलिंग और भक्त: पूजा करते हुए। 🕉�🙏

एक शांत ध्यानस्थ संत: शांति और ज्ञान। 🧘�♂️✨

दो अलग-अलग स्थानों के मंदिर (प्रतीकात्मक): जैसे महाराष्ट्र और कर्नाटक के मंदिर। 🕌🚩

बेलपत्र और जल की बूंदें: पवित्रता। 🌿💧

ज्ञान के प्रतीक (पुस्तक, कमल): 📚🌸

इमोजी सारांश
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--अतुल परब
--दिनांक-04.08.2025-सोमवार. 
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