बाल श्रम-

Started by Atul Kaviraje, August 05, 2025, 10:21:51 PM

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Atul Kaviraje

बाल श्रम पर विशेष कविता-

1.
छोटे-छोटे हाथों में,
खिलौने नहीं, औजार हैं।
इनकी आँखों में,
बचपन के नहीं, सपने बेजार हैं। 💔
अर्थ: बच्चों के छोटे हाथों में खिलौने की जगह औजार हैं। उनकी आँखों में बचपन के सपने नहीं, बल्कि बेजान और थके हुए सपने हैं।

2.
पढ़ने की उम्र में,
जब वो धूल में खेलते हैं।
अशिक्षित दुनिया की,
गलियों में वो चलते हैं। 😔
अर्थ: जब उनकी उम्र पढ़ने की है, तब वे धूल में खेल रहे होते हैं। अशिक्षा के कारण वे जीवन की गलियों में भटकते रहते हैं।

3.
गरीबी ने इनको मजबूर किया,
पेट की आग ने इनको मजबूर किया।
मासूम बचपन को इन्होंने,
पैसे की खातिर दूर किया। 💰
अर्थ: गरीबी ने इन बच्चों को मजबूर किया है, और भूख की आग ने उन्हें काम करने पर मजबूर किया है। उन्होंने अपने मासूम बचपन को पैसों के लिए दूर कर दिया है।

4.
संविधान ने दिया अधिकार,
कानून ने किया है इंकार।
फिर भी क्यों ये होता है,
हम सब की ये हार है। ⚖️
अर्थ: संविधान ने बच्चों को अधिकार दिए हैं और कानून ने बाल श्रम को मना किया है। फिर भी अगर यह होता है, तो यह हम सब की हार है।

5.
बचपन बचाओ आंदोलन,
देता है इनको एक नया जीवन।
NGO और सरकार मिलकर,
खोलें इनके लिए नया द्वार। 🦸�♂️
अर्थ: 'बचपन बचाओ आंदोलन' जैसे संगठन इन बच्चों को एक नया जीवन देते हैं। NGO और सरकार मिलकर इनके लिए एक नया दरवाजा खोलते हैं।

6.
जागरूकता की है अब जरूरत,
समाज में आए बदलाव की सूरत।
हर हाथ में कलम हो,
हर बच्चे को शिक्षा का हुनर हो। 💡
अर्थ: अब जागरूकता की जरूरत है, ताकि समाज में बदलाव आए। हर बच्चे के हाथ में कलम हो और हर बच्चे को शिक्षा का हुनर मिले।

7.
मिलकर करेंगे यह काम,
बच्चों का जीवन बनेगा महान।
एक भी बच्चा काम पर ना जाए,
हर बच्चा स्कूल में जाए। 📚
अर्थ: हम सब मिलकर यह काम करेंगे, ताकि बच्चों का जीवन महान बन सके। एक भी बच्चा काम पर न जाए, हर बच्चा स्कूल में जाए।

--अतुल परब
--दिनांक-05.08.2025-मंगळवार.
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