मंगला गौरी पूजन: 05 अगस्त 2025-1-

Started by Atul Kaviraje, August 06, 2025, 10:31:49 AM

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Atul Kaviraje

मंगला गौरी पूजन-

मंगला गौरी पूजन: 05 अगस्त 2025 का विशेष महत्व-

मंगला गौरी पूजन श्रावण मास में आने वाले प्रत्येक मंगलवार को किया जाने वाला एक पवित्र और महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु, सुखी वैवाहिक जीवन और संतान सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है। कुंवारी कन्याएँ भी अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत करती हैं। 05 अगस्त 2025, मंगलवार को श्रावण मास का एक महत्वपूर्ण मंगला गौरी व्रत मनाया जाएगा। इस दिन माँ पार्वती के मंगला गौरी स्वरूप की आराधना से विशेष फल की प्राप्ति होती है। 🙏

1. व्रत का परिचय और उद्देश्य
मंगला गौरी व्रत, जिसे मंगला गौरी पूजा भी कहते हैं, माता पार्वती को समर्पित है। 'मंगल' का अर्थ है शुभ और 'गौरी' माँ पार्वती का ही एक नाम है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य वैवाहिक जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करना, परिवार में सुख-शांति बनाए रखना और पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करना है। यह व्रत श्रावण मास के दौरान हर मंगलवार को किया जाता है और यह माता पार्वती के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा का प्रतीक है। ✨

2. पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस व्रत का संबंध भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह से है। ऐसी मान्यता है कि जब माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, तब इस व्रत की शुरुआत हुई थी। इस व्रत को करने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं। 📜 यह व्रत महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ माना जाता है, जहाँ द्रौपदी ने भी इसी व्रत को किया था।

3. पूजा विधि
मंगला गौरी पूजा की विधि सरल और भक्तिभाव से परिपूर्ण होती है।

सुबह स्नान: व्रतधारी महिलाएँ सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं। 🚿

संकल्प: पूजा शुरू करने से पहले मन में व्रत का संकल्प लिया जाता है।

मूर्ति स्थापना: एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर, उस पर माँ गौरी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित की जाती है। 🖼�

गणेश पूजा: सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि पूजा निर्विघ्न संपन्न हो।

गौरी पूजा: माँ गौरी को लाल चुनरी, सिंदूर, बिंदी, मेंहदी, चूड़ियाँ, और सोलह श्रृंगार की अन्य वस्तुएँ अर्पित की जाती हैं। 🌺

विशेष वस्तुएँ: इस पूजा में 16 मालाएँ, 16 तरह के फूल, 16 तरह की पत्तियाँ, 16 फल, 16 मिठाईयाँ, 16 लौंग और 16 इलायची आदि चढ़ाई जाती हैं।

कथा वाचन: व्रत की कथा सुनी जाती है और आरती की जाती है। 🕯�

4. सामग्री और तैयारी
मंगला गौरी पूजन के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है:

लाल कपड़ा

माँ गौरी की प्रतिमा या तस्वीर

सोलह श्रृंगार की वस्तुएँ (चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि)

धूप, दीप, अगरबत्ती

फल, फूल, मिठाई (16 की संख्या में)

जल कलश

पान, सुपारी

गेहूँ या चावल (कलश के नीचे रखने के लिए)

घी का दीपक 🪔

5. शुभ मुहूर्त और मंगलवार का महत्व
श्रावण मास में मंगलवार का दिन देवी मंगला गौरी को समर्पित है। इस दिन का ज्योतिषीय महत्व भी है, क्योंकि मंगलवार का स्वामी ग्रह मंगल है, जिसे ऊर्जा, साहस और वैवाहिक सुख का कारक माना जाता है। इस दिन पूजा करने से मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 📅 इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-05.08.2025-मंगळवार.
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