शहरीकरण और ग्रामीण पलायन: सामाजिक और आर्थिक प्रभाव-1-

Started by Atul Kaviraje, August 06, 2025, 10:41:28 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

शहरीकरण और ग्रामीण पलायन: सामाजिक और आर्थिक प्रभाव-

आज के तेजी से बदलते दौर में, शहरीकरण और ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों का शहरों की ओर पलायन एक महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक घटना बन गया है। जहाँ एक ओर शहरीकरण विकास और प्रगति का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण पलायन ने गाँवों को खाली कर दिया है और शहरों पर भारी दबाव डाला है। यह प्रक्रिया केवल भौगोलिक बदलाव नहीं लाती, बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था के हर पहलू को गहराई से प्रभावित करती है। इस लेख में हम इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे। 🏙�➡️🏞�

1. शहरीकरण का परिचय
शहरीकरण एक प्रक्रिया है जिसमें ग्रामीण आबादी शहरों में बसने लगती है, जिससे शहरों का आकार और जनसंख्या बढ़ती है। यह मुख्य रूप से रोजगार, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ और आधुनिक जीवनशैली की तलाश में होता है। शहरीकरण को अक्सर किसी भी देश की आर्थिक प्रगति का सूचक माना जाता है। 📈

2. ग्रामीण पलायन के कारण
गाँवों से शहरों की ओर पलायन के कई कारण हैं:

आर्थिक कारण: गाँवों में रोजगार के सीमित अवसर और कृषि पर निर्भरता।

सामाजिक कारण: बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ और मनोरंजन की कमी।

प्राकृतिक कारण: सूखा, बाढ़ या अन्य प्राकृतिक आपदाएँ जो कृषि को प्रभावित करती हैं।

आकर्षण: शहरी जीवनशैली का आकर्षण और बेहतर भविष्य की उम्मीद।

3. शहरों पर सामाजिक प्रभाव
ग्रामीण पलायन से शहरों पर कई सामाजिक प्रभाव पड़ते हैं:

आवास की समस्या: बढ़ती आबादी के कारण शहरों में आवास की कमी होती है, जिससे झुग्गी-झोपड़ियाँ और अनधिकृत बस्तियाँ बनती हैं।

अपराध में वृद्धि: गरीबी, बेरोजगारी और सामाजिक असमानता के कारण शहरों में अपराध बढ़ सकते हैं।

सामाजिक तनाव: विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोगों के एक ही स्थान पर रहने से सामाजिक तनाव और संघर्ष पैदा हो सकता है। 🚨

4. शहरों पर आर्थिक प्रभाव
श्रम की उपलब्धता: शहरों को सस्ते और प्रचुर मात्रा में श्रमिक मिलते हैं, जिससे उद्योगों और सेवाओं का विकास होता है।

बुनियादी ढाँचे पर दबाव: जनसंख्या बढ़ने से बिजली, पानी, सड़क और परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाओं पर भारी दबाव पड़ता है।

बेरोजगारी: गाँवों से आए कुशल और अकुशल श्रमिकों की बड़ी संख्या के कारण शहरों में बेरोजगारी की समस्या बढ़ सकती है।

5. गाँवों पर सामाजिक प्रभाव
युवाओं की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों से युवा आबादी के पलायन से गाँवों में केवल बुजुर्ग और बच्चे ही बचते हैं, जिससे सामाजिक संरचना कमजोर होती है।

पारंपरिक मूल्यों में कमी: गाँवों से शिक्षित युवाओं के जाने से पारंपरिक ज्ञान और कौशल का हस्तांतरण रुक जाता है।

लिंग असंतुलन: काम की तलाश में पुरुष अधिक पलायन करते हैं, जिससे गाँवों में लिंग असंतुलन हो सकता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-05.08.2025-मंगळवार.
===========================================