🌹 घरेलू हिंसा: एक दर्द भरी कहानी 🌹💔😢🤝⚖️📣

Started by Atul Kaviraje, August 06, 2025, 10:08:12 PM

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Atul Kaviraje

🌹 घरेलू हिंसा: एक दर्द भरी कहानी 🌹

चरण 1: घर की वो दीवारें
घर की वो दीवारें, जो कहती थीं कहानी,
सुनाई नहीं देती, पर है आँखों का पानी।
जहाँ बसना था प्यार, वहाँ है सिर्फ डर,
टूटे हुए रिश्तों का, वो है एक सफर।

अर्थ: घर की उन दीवारों को जो कभी प्रेम की कहानी कहते थे, अब वे दर्द की कहानी कहते हैं। जहाँ प्यार होना चाहिए, वहाँ सिर्फ डर है और रिश्तों के टूटने का सफर है।

चरण 2: बच्चों का मन
बच्चों का मन, जो खिलना चाहता था,
हिंसा के साए में, वो सहम जाता था।
प्यार की जगह पर, जब देखे वो मार,
अंदर ही अंदर, वो हो जाता बेकार।

अर्थ: बच्चों का मन जो खेलना और खुश रहना चाहता था, वह हिंसा के डर से सहम जाता है। जब वे प्यार की जगह मार-पीट देखते हैं, तो वे अंदर से कमजोर हो जाते हैं।

चरण 3: अकेलेपन का बोझ
अकेलेपन का बोझ, वो सहती है रात भर,
किसी से नहीं कह पाती, वो अपना दर्द।
समाज के डर से, वो चुप रह जाती है,
हर एक आंसू को, दिल में छुपाती है।

अर्थ: पीड़ित महिला अकेलेपन का बोझ रात भर सहती है और अपना दर्द किसी को बता नहीं पाती। समाज के डर से वह चुप रहती है और अपने आँसुओं को दिल में छुपाती है।

चरण 4: कानून की रोशनी
लेकिन अब है कानून, देता है सहारा,
हिंसा के खिलाफ, अब हो जाओ तुम खड़ा।
अधिनियम 2005, देता है संरक्षण,
हर पीड़ित को मिले, अब ये अधिकार।

अर्थ: अब एक कानून है जो सहारा देता है। 2005 का अधिनियम हर पीड़ित को संरक्षण का अधिकार देता है।

चरण 5: कानूनी सहायता
हाँथों में है अधिकार, अब ना घबराना,
संरक्षण अधिकारी से, तुम मदद माँगना।
न्याय की है लड़ाई, जीत होगी तुम्हारी,
इस अँधेरे से निकलेगी, अब नई सुबह हमारी।

अर्थ: अब हमें डरना नहीं चाहिए, क्योंकि हमारे हाथ में अधिकार है। हमें संरक्षण अधिकारी से मदद मांगनी चाहिए। यह न्याय की लड़ाई है और इसमें हमारी जीत होगी। इस अँधेरे से एक नई सुबह निकलेगी।

चरण 6: समाज की जिम्मेदारी
यह सिर्फ एक व्यक्ति की, नहीं है समस्या,
पूरे समाज की, ये है एक दुर्दशा।
आओ मिलकर उठाएं, हम सब ये आवाज,
घरेलू हिंसा को करें, अब खत्म आज।

अर्थ: यह सिर्फ एक व्यक्ति की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे समाज की दुर्दशा है। आओ मिलकर हम सब आवाज उठाएं और घरेलू हिंसा को आज ही खत्म करें।

चरण 7: एक नया सवेरा
जब हर घर में हो, सिर्फ प्यार और सम्मान,
तब ही तो होगा, ये देश महान।
हिंसा से मुक्त हो, हर एक परिवार,
यह ही तो है हमारा, सबसे बड़ा अधिकार।

अर्थ: जब हर घर में सिर्फ प्यार और सम्मान होगा, तभी हमारा देश महान होगा। हर परिवार हिंसा से मुक्त हो, यही हमारा सबसे बड़ा अधिकार है।

📝 सारांश
यह कविता घरेलू हिंसा के दर्द, बच्चों पर उसके प्रभाव और कानून के माध्यम से मिलने वाले न्याय को दर्शाती है। यह हमें इस समस्या को खत्म करने के लिए सामूहिक रूप से आवाज उठाने के लिए प्रेरित करती है।

इमोजी सारांश: 💔😢🤝⚖️📣

--अतुल परब
--दिनांक-06.08.2025-बुधवार.
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