🌹 श्री साईंबाबा: संतुलन का मंत्र 🌹🙏✨❤️🕊️🤝

Started by Atul Kaviraje, August 07, 2025, 09:32:09 PM

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Atul Kaviraje

🌹 श्री साईंबाबा: संतुलन का मंत्र 🌹

चरण 1: शिर्डी का वो बाबा
शिर्डी का वो बाबा, जो सबका था यार,
धर्मों का संगम, दिया जिसने प्यार।
मंदिर में भी रहते, और मस्जिद में भी,
हर एक दिल में बसते, वो ही साईंबाबा।

अर्थ: शिर्डी के साईंबाबा सबके दोस्त थे। उन्होंने धर्मों के संगम का संदेश दिया। वे मंदिर और मस्जिद दोनों में रहते थे और हर दिल में बसते थे।

चरण 2: श्रद्धा और सबूरी
श्रद्धा और सबूरी, ये ही हैं दो नाम,
जीवन में संतुलन का, ये ही तो हैं काम।
विश्वास रखो तुम, और सब्र भी करो,
साईंबाबा की कृपा से, हर सुख पाओगे तुम।

अर्थ: श्रद्धा और सबूरी (विश्वास और धैर्य) ये दो नाम ही जीवन में संतुलन का काम करते हैं। हमें भगवान पर विश्वास रखना चाहिए और धैर्य भी रखना चाहिए। साईंबाबा की कृपा से हमें हर सुख मिलेगा।

चरण 3: भक्ति और कर्म
भक्ति करो तुम दिल से, और कर्म भी करो,
सिर्फ पूजा से नहीं, मिलेगा वो फल।
अपने कर्तव्यों को, ईमानदारी से निभाओ,
साईं की राह पर, तुम चलते जाओ।

अर्थ: हमें सच्चे दिल से भक्ति करनी चाहिए और अपने कर्म भी करने चाहिए। सिर्फ पूजा-पाठ से फल नहीं मिलेगा। हमें अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाना चाहिए और साईं की राह पर चलना चाहिए।

चरण 4: धन का ये त्याग
धन का ये त्याग, हमें है सिखाया,
मिलकर सब में बाँटो, जो कुछ भी कमाया।
जरूरतमंदों को, तुम सहारा दो,
सच्ची मानवता का, तुम दीपक जलाओ।

अर्थ: उन्होंने हमें धन के त्याग का महत्व सिखाया है। हमें जो कुछ भी कमाया है, उसे मिलकर बाँटना चाहिए। जरूरतमंदों को सहारा देकर हमें सच्ची मानवता का दीपक जलाना चाहिए।

चरण 5: प्रेम और अनुशासन
प्रेम से जियो तुम, और अनुशासन भी रखो,
अच्छे चरित्र की राह पर, तुम चलते रहो।
मीठे बोल बोलो, और सच का साथ दो,
साईं के चरणों में, अपना जीवन तुम सौंपो।

अर्थ: हमें प्रेम से जीना चाहिए और अनुशासन भी रखना चाहिए। अच्छे चरित्र के रास्ते पर हमें चलते रहना चाहिए। मीठे बोल बोलने और सच्चाई का साथ देने से हम साईं के चरणों में अपना जीवन समर्पित कर सकते हैं।

चरण 6: हर कोई है एक
जात-पात का बंधन, वो तोड़ गए थे,
हर एक इंसान को, वो जोड़ गए थे।
सबका मालिक एक है, ये ही तो था ज्ञान,
प्रेम से जियो तुम, और करो सबका सम्मान।

अर्थ: उन्होंने जात-पात का बंधन तोड़ दिया था और हर इंसान को जोड़ दिया था। 'सबका मालिक एक' यही उनका ज्ञान था। हमें प्रेम से जीना चाहिए और सबका सम्मान करना चाहिए।

चरण 7: साईं का दर्शन
साईं का दर्शन है, जीवन का वो सार,
जहाँ हर एक चीज में, है एक संतुलन।
भक्ति, कर्म, प्रेम और त्याग,
यही तो है वो राह, जो देती है मुक्ति।

अर्थ: साईं का दर्शन ही जीवन का सार है, जहाँ हर चीज में एक संतुलन है। भक्ति, कर्म, प्रेम और त्याग, यही वह मार्ग है जो हमें मुक्ति देता है।

📝 सारांश
यह कविता साईंबाबा के 'संतुलन के दर्शन' को सरल और भक्तिपूर्ण शब्दों में बताती है। यह हमें श्रद्धा, सबूरी, भक्ति, कर्म और प्रेम के साथ एक संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देती है।

इमोजी सारांश: 🙏✨❤️🕊�🤝

--अतुल परब
--दिनांक-07.08.2025-गुरुवार.
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