देवी सरस्वती एवं 'ज्ञान की दिव्य ऊर्जा' की पूजा -

Started by Atul Kaviraje, August 09, 2025, 11:37:55 AM

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Atul Kaviraje

देवी सरस्वती एवं 'ज्ञान की दिव्य ऊर्जा' की पूजा - हिंदी कविता-

(7 चरण, प्रत्येक में 4 पंक्तियाँ)

चरण 1
श्वेत कमल पर विराजित माता,
ज्ञान का प्रकाश सबसे है बांटता।
हाथ में वीणा, मधुर तान सुनाए,
अज्ञान का अंधकार दूर भगाए।
अर्थ: सफेद कमल पर बैठी हुई माता सरस्वती, सबसे ज्ञान का प्रकाश बांटती हैं। उनके हाथ में वीणा है, जिसकी मधुर तान अज्ञानता को दूर भगाती है।

चरण 2
सच्ची विद्या का दीप जलाओ,
बुद्धि और विवेक को अपनाओ।
सरस्वती का वास हो मन में,
सफलता पाओगे जीवन के रण में।
अर्थ: हमें सच्ची विद्या का दीपक जलाना चाहिए और अपनी बुद्धि और विवेक को विकसित करना चाहिए। जब सरस्वती माता हमारे मन में निवास करती हैं, तब हम जीवन की हर चुनौती में सफल होते हैं।

चरण 3
कला और संगीत की देवी आप,
हर कलाकार का करती हो ताप।
नृत्य, गायन, लेखन में प्रेरणा,
आपकी कृपा से मिलती है चेतना।
अर्थ: आप कला और संगीत की देवी हैं, जो हर कलाकार की पीड़ा को हरती हैं। नृत्य, गायन और लेखन में आपकी कृपा से नई प्रेरणा और चेतना मिलती है।

चरण 4
वाणी को शुद्ध करे तेरा जाप,
मिटे मन का हर एक संताप।
शब्दों में मधुरता भर जाए,
रिश्तों का बंधन मजबूत हो जाए।
अर्थ: आपका मंत्र जाप हमारी वाणी को शुद्ध करता है और मन के हर दुख को मिटाता है। जब शब्दों में मधुरता आती है, तो रिश्तों का बंधन और भी मजबूत हो जाता है।

चरण 5
अहंकार को तुम दूर भगाती,
विनम्रता का पाठ पढ़ाती।
गुरुओं का सम्मान सिखाए,
ज्ञान की राह पर चलना बताए।
अर्थ: आप हमारे अहंकार को दूर करती हैं और हमें विनम्रता का पाठ पढ़ाती हैं। आपकी पूजा हमें गुरुओं का सम्मान करना सिखाती है और ज्ञान के मार्ग पर चलना बताती है।

चरण 6
ध्यान और एकाग्रता बढ़ाती,
जीवन को सही राह दिखाती।
मन की शांति को तुम लाती,
सकारात्मक ऊर्जा फैलाती।
अर्थ: आप हमारी एकाग्रता और ध्यान शक्ति को बढ़ाती हैं और जीवन को सही दिशा देती हैं। आप मन में शांति लाती हैं और चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा फैलाती हैं।

चरण 7
वसंत पंचमी का यह शुभ त्योहार,
ज्ञान की पूजा का है ये सार।
मां सरस्वती की जय-जयकार,
ज्ञान की ज्योति से भर दो संसार।
अर्थ: वसंत पंचमी का यह शुभ त्योहार ज्ञान की पूजा का सार है। हम माता सरस्वती की जय-जयकार करते हैं और उनसे प्रार्थना करते हैं कि वे पूरे संसार को ज्ञान की ज्योति से भर दें।

--अतुल परब
--दिनांक-08.08.2025-शुक्रवार.
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