८ अगस्त २०२५: बंजारा तीज उत्सव और बाबा महाराज आविकर जयंती का विशेष महत्व-

Started by Atul Kaviraje, August 09, 2025, 02:37:37 PM

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Atul Kaviraje

1-बंजारा तिज उत्सव प्रIरंभ-

2-बाबा महाराज आर्विकर जयंती-माचनूर, तालुका-मंगळवेढा-

८ अगस्त २०२५: बंजारा तीज उत्सव और बाबा महाराज आविकर जयंती का विशेष महत्व-

आज, ८ अगस्त २०२५, का दिन दो महत्वपूर्ण आयोजनों के कारण विशेष है। एक ओर जहाँ बंजारा समुदाय में तीज उत्सव का आरंभ हो रहा है, वहीं दूसरी ओर माचनूर में बाबा महाराज आविकर की जयंती मनाई जा रही है। ये दोनों ही आयोजन अपनी-अपनी परंपराओं और आस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो हमें भारतीय संस्कृति की विविधता और भक्ति भावना से परिचित कराते हैं।

बंजारा तीज उत्सव का आरंभ
१. तीज का महत्व और आस्था:

बंजारा समुदाय के लिए तीज का त्यौहार केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं का प्रतीक है। यह त्यौहार मुख्य रूप से विवाहित और अविवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, जो अपने भाई-बहन और पति की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। यह त्यौहार प्रकृति और परिवार के प्रति उनके गहरे सम्मान को दर्शाता है।

२. अनुष्ठान और परंपराएं:

यह उत्सव भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को शुरू होता है, जिसे बंजारा भाषा में 'तीज' कहा जाता है। इस दिन महिलाएं उपवास रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। वे विशेष रूप से सजी हुई झूलों पर झूलती हैं और पारंपरिक बंजारा गीत गाती हैं, जिन्हें 'लाम्बाडी' गीत कहा जाता है।

३. भाई-बहन का अटूट रिश्ता:

तीज का त्यौहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को भी मजबूत करता है। बहनें अपने भाइयों के लिए विशेष पकवान बनाती हैं, और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं, जिससे उनके बीच का प्रेम और भी गहरा हो जाता है।

४. पारंपरिक वेशभूषा और नृत्य:

इस अवसर पर बंजारा महिलाएं अपनी पारंपरिक वेशभूषा पहनती हैं, जिसमें रंगीन घाघरा-चोली, शीशे से जड़े आभूषण और रंग-बिरंगी चूड़ियाँ शामिल हैं। वे 'घूमर' और 'लंगड़ी' जैसे पारंपरिक नृत्य करती हैं, जो उनकी संस्कृति की जीवंतता को दर्शाता है।

५. प्रकृति और कृषि से जुड़ाव:

यह उत्सव मॉनसून के आगमन का भी प्रतीक है। बंजारा समुदाय कृषि पर आधारित है, और तीज का त्यौहार अच्छी फसल की उम्मीदों और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर होता है।

बाबा महाराज आविकर जयंती
६. बाबा महाराज आविकर का परिचय:

बाबा महाराज आविकर एक महान संत और समाज सुधारक थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया। उनका जन्म माचनूर, तालुका मंगळवेढा में हुआ था, और उन्होंने इस क्षेत्र में धार्मिक और सामाजिक चेतना जगाने का कार्य किया।

७. आध्यात्मिकता और भक्ति का संदेश:

बाबा महाराज ने लोगों को भक्ति और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने का उपदेश दिया। उन्होंने जाति-धर्म के भेदभाव से ऊपर उठकर सभी को प्रेम और सद्भाव से रहने का संदेश दिया। उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों को सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।

८. समाज सेवा का कार्य:

बाबा महाराज केवल एक संत ही नहीं, बल्कि एक कर्मयोगी भी थे। उन्होंने गरीबों, बीमारों और जरूरतमंदों की सेवा के लिए कई कार्य किए। उन्होंने कई आश्रमों और धार्मिक केंद्रों की स्थापना की, जहाँ जरूरतमंदों को भोजन और आश्रय मिलता था।

९. जयंती का उत्सव:

माचनूर में बाबा महाराज आविकर की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन महाराष्ट्र और कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों से उनके अनुयायी एकत्रित होते हैं। भजन-कीर्तन, धार्मिक प्रवचन और भंडारे का आयोजन किया जाता है, जहाँ सभी लोग मिलकर भोजन करते हैं।

१०. प्रेरणा और विरासत:

बाबा महाराज की जयंती हमें उनकी शिक्षाओं और आदर्शों को याद करने का अवसर देती है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि निस्वार्थ सेवा, भक्ति और करुणा से ही हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-08.08.2025-शुक्रवार.
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