राष्ट्रीय अखंडता और चुनौतियाँ-

Started by Atul Kaviraje, August 09, 2025, 02:42:00 PM

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Atul Kaviraje

राष्ट्रीय अखंडता और चुनौतियाँ-

राष्ट्रीय अखंडता का अर्थ है एक राष्ट्र के रूप में भारत की एकता और स्थिरता। यह केवल देश की भौगोलिक सीमाओं की सुरक्षा नहीं, बल्कि विभिन्न धर्मों, जातियों, भाषाओं और संस्कृतियों के लोगों का एक भावनात्मक बंधन है। यह वह शक्ति है जो हमें एक साथ बांधती है और हमें "एक राष्ट्र" बनाती है। हालांकि, भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में, इस अखंडता को बनाए रखना एक निरंतर चुनौती है। इस लेख में, हम राष्ट्रीय अखंडता के महत्व और इसे प्रभावित करने वाली प्रमुख चुनौतियों को १० बिंदुओं में समझेंगे।

राष्ट्रीय अखंडता का महत्व
१. राष्ट्र की संप्रभुता और सुरक्षा:

राष्ट्रीय अखंडता किसी भी देश की संप्रभुता और सुरक्षा की गारंटी है। जब नागरिक एकजुट होते हैं, तो बाहरी आक्रमणों और आंतरिक विघटनकारी शक्तियों का सामना करना आसान हो जाता है।

२. राजनीतिक स्थिरता:

एक अखंड राष्ट्र में राजनीतिक स्थिरता बनी रहती है। जब लोग अपने क्षेत्रीय, धार्मिक या भाषाई पहचान से ऊपर उठकर राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हैं, तो सरकारें अधिक प्रभावी ढंग से काम कर पाती हैं।

३. आर्थिक विकास:

राष्ट्रीय अखंडता आर्थिक विकास के लिए एक आवश्यक शर्त है। एक स्थिर और एकजुट देश में निवेश, व्यापार और विकास की गतिविधियाँ सुचारु रूप से चलती हैं, जिससे देश की प्रगति होती है।

४. सामाजिक सद्भाव:

यह विभिन्न समुदायों के बीच आपसी समझ, सम्मान और सद्भाव को बढ़ावा देती है। यह हमें सिखाती है कि हमारी विविधता हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि हमारी ताकत है।

५. सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण:

अखंडता हमें अपनी विविध सांस्कृतिक विरासत का सम्मान और संरक्षण करने के लिए प्रेरित करती है। यह हमें अपनी अनूठी पहचान बनाए रखते हुए एक साझा राष्ट्रीय पहचान विकसित करने में मदद करती है।

राष्ट्रीय अखंडता के समक्ष चुनौतियाँ
६. जातिवाद और सांप्रदायिकता:

जातिवाद और सांप्रदायिकता राष्ट्रीय अखंडता के लिए सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। कुछ निहित स्वार्थी तत्व समाज को धर्म और जाति के आधार पर विभाजित करने का प्रयास करते हैं, जिससे आपसी सौहार्द बिगड़ता है।

७. क्षेत्रीयवाद और अलगाववाद:

क्षेत्रीय असमानताएँ और कुछ क्षेत्रों में विकास की कमी क्षेत्रीयवाद और अलगाववाद की भावना को जन्म देती है। कुछ समूह अपनी क्षेत्रीय पहचान को राष्ट्रीय पहचान से ऊपर रखते हैं, जो राष्ट्र की एकता के लिए खतरा है।

८. भाषावाद:

भारत में कई भाषाएँ बोली जाती हैं, लेकिन कभी-कभी भाषा के आधार पर संघर्ष भी होता है। एक भाषा को दूसरी से श्रेष्ठ मानना या एक भाषा को थोपना, भाषावाद को बढ़ावा देता है, जिससे लोगों के बीच दूरियाँ बढ़ती हैं।

९. आतंकवाद और नक्सलवाद:

आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी समस्याएँ राष्ट्र की सुरक्षा और अखंडता के लिए प्रत्यक्ष खतरा हैं। ये शक्तियाँ हिंसा और भय फैलाकर समाज में अस्थिरता पैदा करती हैं।

१०. आर्थिक असमानता:

आर्थिक असमानता भी राष्ट्रीय अखंडता को प्रभावित करती है। जब समाज के एक बड़े वर्ग को गरीबी और बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है, तो उनमें असंतोष पैदा होता है, जिसका फायदा विघटनकारी शक्तियाँ उठा सकती हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-08.08.2025-शुक्रवार.
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