हिंदी कविता: मजदूर की आवाज-🤝💪✨

Started by Atul Kaviraje, August 09, 2025, 04:44:33 PM

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Atul Kaviraje

हिंदी कविता: मजदूर की आवाज-

1. चरण
इक मजदूर जो दिन भर खटता,
पर उसके हिस्से में क्या आता?
मेहनत का पसीना बहता,
घर का चूल्हा फिर भी जलता।

अर्थ: एक मजदूर जो दिनभर कड़ी मेहनत करता है, लेकिन फिर भी उसे अपनी मेहनत का उचित फल नहीं मिलता। उसका पसीना बहता है पर घर का चूल्हा मुश्किल से ही जल पाता है।

2. चरण
जब अकेला था वो बेचारा,
मालिक के आगे था हारा।
रोटी की थी उसकी मजबूरी,
पूरी थी न कोई भी ख्वाहिश पूरी।

अर्थ: जब वह अकेला था, तो मालिक के सामने कमजोर था। उसे पेट भरने के लिए काम करना पड़ता था, और उसकी कोई भी इच्छा पूरी नहीं होती थी।

3. चरण
तब एक विचार मन में आया,
क्यों न सब मिलकर हाथ बढ़ाया।
संगठन की शक्ति को पहचाना,
आवाज को फिर एक बनाया।

अर्थ: फिर उसके मन में एक विचार आया कि क्यों न सभी मजदूर एकजुट हो जाएं। उन्होंने संगठन की ताकत को समझा और अपनी आवाज को एक किया।

4. चरण
बन गया फिर एक मजदूर संघ,
हाथों में थे फिर सबके रंग।
कदम-कदम पर मिलकर चले,
अन्याय के आगे न वो ढले।

अर्थ: फिर एक मजदूर संघ का निर्माण हुआ, जिसमें सभी एकजुट थे। उन्होंने मिलकर अन्याय का सामना किया और झुके नहीं।

5. चरण
सामूहिक सौदेबाजी की राह पर,
मालिक से की बातचीत निडर।
मांगा अपना हक और अधिकार,
न हो अब और कोई अत्याचार।

अर्थ: उन्होंने सामूहिक सौदेबाजी के रास्ते पर चलकर मालिक से निडर होकर बात की। उन्होंने अपने हक और अधिकार मांगे ताकि उन पर कोई और अत्याचार न हो।

6. चरण
आठ घंटे की हुई फिर मांग,
सुरक्षित काम का था नया ढंग।
बोनस और छुट्टी की भी बात,
बदली फिर मजदूर की किस्मत।

अर्थ: फिर उन्होंने आठ घंटे के काम, सुरक्षित कार्यस्थल और बोनस व छुट्टियों की मांग रखी, जिससे मजदूरों की किस्मत बदल गई।

7. चरण
श्रम संघ ने दी नई दिशा,
दूर की हर मन की निराशा।
मजदूरों की अब है पहचान,
मिलता है अब उनको भी सम्मान।

अर्थ: श्रम संघ ने मजदूरों के जीवन को एक नई दिशा दी और उनके मन की निराशा को दूर किया। अब मजदूरों की भी एक पहचान है और उन्हें भी सम्मान मिलता है।

🤝💪✨

--अतुल परब
--दिनांक-09.08.2025-शनिवार.
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