कविता: अग्नि का वरदान-✍️🔥🤝🌳✅

Started by Atul Kaviraje, August 11, 2025, 04:43:47 PM

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Atul Kaviraje

कविता: अग्नि का वरदान-

1. जंगल की आग जब लगती है,
दिल में दहशत भर जाती है।
पर जानो उसकी एक कहानी,
जो प्रकृति की है जुबानी।
अर्थ: जब जंगल की आग लगती है, तो डर लगता है, लेकिन इसकी एक और कहानी है जो प्रकृति स्वयं बताती है। 🔥

2. पुराने सूखे पत्ते जलते हैं,
नए अंकुर फिर से फलते हैं।
पाइन के बीज गर्मी से खुलते हैं,
जीवन के चक्र फिर से चलते हैं।
अर्थ: पुराने सूखे पत्ते जलने से, नए पौधे उगते हैं, और पाइन के बीज गर्मी से खुल कर नए जीवन को जन्म देते हैं। 🌿

3. अनचाही झाड़ियाँ जल जातीं,
जगहें खाली हो जातीं।
छोटे पौधों को मौका मिलता,
एक नया जीवन खिलता।
अर्थ: अनचाहे पौधे जल जाते हैं, जिससे छोटे पौधों को बढ़ने का मौका मिलता है और एक नई ज़िंदगी शुरू होती है। 🌱

4. यह आग नहीं है दुश्मन,
यह तो है जंगल का जीवन।
गर हो यह नियंत्रित,
तो भविष्य हो सुरक्षित।
अर्थ: आग दुश्मन नहीं है, यह जंगल का जीवन है। अगर इसे नियंत्रित किया जाए, तो भविष्य सुरक्षित हो सकता है। 🌳

5. जब जलता है धीमे-धीमे,
कम धुआँ होता है, हाँ-हाँ।
कार्बन कम उड़ता है हवा में,
साथ दे हम सब इस काम में।
अर्थ: जब नियंत्रित आग धीमी गति से जलती है, तो कम धुआँ और कार्बन निकलता है। हमें इस प्रयास में सहयोग करना चाहिए। 💨🤝

6. आओ मिलकर समझें इसको,
बचाएँ धरती के हर हिस्से को।
सरकार और हम साथ आएं,
प्रकृति को फिर से महकाएं।
अर्थ: आओ हम सब मिलकर इस बात को समझें, और सरकार के साथ मिलकर धरती के हर हिस्से को बचाएं। 🌍

7. डर नहीं, यह है ज्ञान की बात,
प्रकृति के संग है हमारा साथ।
अग्नि का उपयोग करें बुद्धिमानी से,
जंगल की रक्षा करें सावधानी से।
अर्थ: यह डर की नहीं, ज्ञान की बात है। हमें प्रकृति के साथ मिलकर, अग्नि का उपयोग बुद्धिमानी से करना चाहिए ताकि हम जंगलों की रक्षा कर सकें। 🧠

सारांश: ✍️🔥🤝🌳✅

--अतुल परब
--दिनांक-11.08.2025-सोमवार.
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