पर्यावरण और प्रदूषण: एक गंभीर चुनौती- प्रदूषण पर कविता-🌿💧♻️

Started by Atul Kaviraje, August 12, 2025, 03:10:57 PM

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Atul Kaviraje

पर्यावरण और प्रदूषण: एक गंभीर चुनौती-

प्रदूषण पर कविता-

१. हवा में है धुआँ और धूल,
पानी में है कचरा और फूल।
प्रकृति का यह कैसा हाल,
कौन करेगा इसे अब खुशहाल?

अर्थ: हवा में धुआँ और धूल है, और पानी में कचरा फैला हुआ है। प्रकृति की यह कैसी हालत हो गई है, इसे अब कौन ठीक करेगा?

२. नदियों का जल है काला,
शहरों में है शोर का हवाला।
मिट्टी में मिल रहे हैं रसायन,
जीवन पर है यह बड़ा क्रंदन।

अर्थ: नदियों का पानी काला हो गया है और शहरों में बहुत शोर है। मिट्टी में रसायन मिल रहे हैं, जिससे जीवन बहुत दुखी है।

३. पेड़ों की होती है कटाई,
गाँव-शहरों में है हलचल छाई।
पक्षियों के घर उजड़ गए,
जानवर भी अब किधर गए?

अर्थ: पेड़ों की कटाई हो रही है और शहरों-गाँवों में हलचल है। पक्षियों के घर उजड़ गए हैं और जानवर भी अब कहाँ जाएँगे?

४. प्लास्टिक का ढेर है चारों ओर,
बीमारियों का है ये शोर।
ग्लोबल वार्मिंग की है चिंता,
हर इंसान है अब डरता।

अर्थ: चारों ओर प्लास्टिक का ढेर लगा है, जिससे बीमारियाँ फैल रही हैं। ग्लोबल वार्मिंग की चिंता है, जिससे हर इंसान अब डरा हुआ है।

५. प्रदूषण का राक्षस है खड़ा,
जीवन पर है यह खतरा बड़ा।
कैसे हम इससे बच पाएंगे?
क्या हम अपने बच्चों को ये ही दे पाएंगे?

अर्थ: प्रदूषण का राक्षस खड़ा है, जो हमारे जीवन के लिए एक बड़ा खतरा है। हम इससे कैसे बचेंगे? क्या हम अपने बच्चों को यही प्रदूषित दुनिया देंगे?

६. 🌿💧♻️
चलो मिलकर एक संकल्प करें,
प्रदूषण को हम जड़ से खत्म करें।
पेड़ लगाएं, पानी बचाएं,
पर्यावरण को स्वच्छ बनाएं।

अर्थ: आओ हम सब मिलकर एक संकल्प लें कि हम प्रदूषण को जड़ से खत्म करेंगे। हम पेड़ लगाएंगे, पानी बचाएंगे और अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाएंगे।

७. स्वच्छ हवा और स्वच्छ पानी,
यही है हमारे जीवन की कहानी।
प्रकृति की करो तुम रक्षा,
यही है हमारी अंतिम परीक्षा।

अर्थ: स्वच्छ हवा और स्वच्छ पानी ही हमारे जीवन की कहानी होनी चाहिए। हमें प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए, यही हमारी असली परीक्षा है।

--अतुल परब
--दिनांक-12.08.2025-मंगळवार.
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