हमें 'देजा वू' (Déjà Vu) क्यों होता है? 🤔"देजा वू का एहसास"

Started by Atul Kaviraje, August 14, 2025, 04:48:58 PM

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Atul Kaviraje

हमें 'देजा वू' (Déjà Vu) क्यों होता है? 🤔

हिंदी कविता (Hindi Poem)

"देजा वू का एहसास"

1.
आज जो देखा है मैंने,
लगता है पहले भी देखा है।
यह रास्ता, यह चेहरा, यह पल,
जैसे मैंने पहले ही रेखा है।
अर्थ: कविता बताती है कि 'देजा वू' में हमें ऐसा महसूस होता है कि वर्तमान में जो कुछ हो रहा है, उसे हमने पहले भी देखा है।

2.
यह कौन सा पल है,
जो मन को छूकर जाता है।
एक पल में सब जाना-पहचाना,
फिर क्यों यह भ्रम बन जाता है।
अर्थ: यह भावना बहुत ही कम समय के लिए रहती है और मन को भ्रमित करती है।

3.
यह यादों का खेल है क्या,
या दिमाग की कोई भूल है।
जो नए को पुराना बना दे,
यह कैसी अनोखी धूल है।
अर्थ: यह कविता पूछती है कि क्या यह यादों की कोई गड़बड़ी है, जो नए अनुभव को पुराने जैसा महसूस कराती है।

4.
जैसे किसी सपने को देखा,
और जागकर याद न आए।
जब वो पल सामने आए,
तो मन में एक सिहरन भर जाए।
अर्थ: 'देजा वू' कई बार सपनों से मिलता-जुलता होता है, जहाँ हमें लगता है कि हमने यह स्थिति पहले भी देखी है, लेकिन हम याद नहीं कर पाते।

5.
यह कोई जादू नहीं है,
यह तो है मस्तिष्क का एक रहस्य।
नए और पुराने का मेल,
करता है यह अनुभव।
अर्थ: यह कोई जादू नहीं है, बल्कि हमारे मस्तिष्क की एक रहस्यमयी प्रक्रिया है।

6.
यह कोई डर नहीं है,
यह तो है एक अद्भुत एहसास।
जो हमें दिखाता है,
कि दिमाग है कितना खास।
अर्थ: 'देजा वू' एक डरावनी भावना नहीं है, बल्कि यह हमारे दिमाग की असाधारण क्षमता को दर्शाती है।

7.
तो जब भी हो 'देजा वू',
तो थोड़ा सा मुस्कुराना तुम।
अपने दिमाग की कारीगरी पर,
थोड़ा सा इठलाना तुम।
अर्थ: जब भी आपको 'देजा वू' हो, तो शांत रहें और मुस्कुराएं, क्योंकि यह आपके दिमाग की एक अनोखी क्रिया है।

--अतुल परब
--दिनांक-14.08.2025-गुरुवार.
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