पतेती- हिंदी कविता-

Started by Atul Kaviraje, August 15, 2025, 12:01:59 PM

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Atul Kaviraje

पतेती-

हिंदी कविता-

(१)
पतेती का पर्व है आया,
नया सवेरा साथ में लाया।
गलतियों का पश्चात्ताप करें,
जीवन को फिर से महकाएं।
अर्थ: पतेती का त्यौहार आया है, जो एक नई सुबह लेकर आया है। इस दिन हम अपनी गलतियों का पश्चात्ताप करके अपने जीवन को फिर से खुशियों से भर सकते हैं।

(२)
अग्नि मंदिर में दीया जलाएँ,
ईश्वर से हम आशीष पाएँ।
चंदन की सुगंध फैलाएं,
मन के पापों को दूर भगाएँ।
अर्थ: इस दिन अग्नि मंदिर में दीया जलाकर हम ईश्वर से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। चंदन की सुगंध से मन के पाप दूर होते हैं।

(३)
घर को सजाएँ फूलों से,
रंगोली के सुंदर रंगों से।
खुशियाँ बांटे सब के संग,
नाचें, गाएँ, बजाएँ मृदंग।
अर्थ: घर को फूलों और रंगोली से सजाकर हम सबके साथ खुशियाँ बांटते हैं और नाच-गाना करके उत्सव मनाते हैं।

(४)
रावो और धंशाक पकाएँ,
पत्रा नी मच्छी भी खाएँ।
पारसी संस्कृति को अपनाएँ,
सबको गले लगाकर मुस्कुराएँ।
अर्थ: इस दिन पारंपरिक पारसी पकवान जैसे रावो, धंशाक और पत्रा नी मच्छी बनाए जाते हैं। हम पारसी संस्कृति को अपनाते हैं और सबको गले मिलकर मुस्कराते हैं।

(५)
पुराने गिले-शिकवे भुलाकर,
एक नई राह पर हम चलकर।
भाईचारा और प्रेम बढ़ाएँ,
सबका जीवन खुशहाल बनाएँ।
अर्थ: पुराने गिले-शिकवे भुलाकर हम एक नई राह पर चलते हैं। भाईचारा और प्रेम बढ़ाकर हम सबका जीवन खुशहाल बनाते हैं।

(६)
दान-पुण्य का यह है दिन,
जरूरतमंदों की करें मदद।
परोपकार का भाव अपनाएँ,
सच्चे सुख को जीवन में पाएँ।
अर्थ: यह दिन दान-पुण्य का है। हमें जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए और परोपकार का भाव अपनाकर सच्चे सुख को प्राप्त करना चाहिए।

(७)
पतेती है एक सीख,
आत्म-सुधार की है यह नींव।
नववर्ष का यह पहला कदम,
सकारात्मकता का है शुभ संगम।
अर्थ: पतेती हमें एक सीख देता है कि हमें आत्म-सुधार करना चाहिए। यह नए साल का पहला कदम है, जो सकारात्मकता का शुभ संगम है।

--अतुल परब
--दिनांक-14.08.2025-गुरुवार.
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