हम भावनाएँ क्यों महसूस करते हैं?- हिंदी कविता: भावनाओं का सागर-

Started by Atul Kaviraje, August 16, 2025, 08:29:26 PM

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Atul Kaviraje

हम भावनाएँ क्यों महसूस करते हैं?-

हिंदी कविता: भावनाओं का सागर-

(१) पर क्यों दिल में यह तूफान है?
पर क्यों दिल में यह तूफान है, पर क्यों मन में यह हलचल है।
कभी हँसे हम खूब जोर से, कभी आँखों में पानी है।
यह भावनाओं का सागर है, जो हर पल बहता रहता है।
पर क्यों दिल में यह तूफान है, पर क्यों मन में यह हलचल है।
(अर्थ: इस चरण में भावनाओं के कारण मन में होने वाले उतार-चढ़ाव और उनकी प्रकृति पर जिज्ञासा व्यक्त की गई है।)

(२) जीवन की यह है परिभाषा
जीवन की यह है परिभाषा, हर पल हम महसूस करें।
दुख और सुख, सब कुछ यहाँ, हर भावना से हम कुछ सीखें।
यही तो जीने का असली मजा है, जो हमें इंसान बनाता है।
जीवन की यह है परिभाषा, हर पल हम महसूस करें।
(अर्थ: यह चरण बताता है कि भावनाएँ ही जीवन को अर्थ देती हैं और वे हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं।)

(३) डर हमें आगे बढ़ाता है
डर हमें आगे बढ़ाता है, खतरों से हमें बचाता है।
प्रेम हमें जोड़ता है, रिश्तों को गहरा बनाता है।
हर भावना का अपना काम है, हर भावना का अपना सार है।
डर हमें आगे बढ़ाता है, खतरों से हमें बचाता है।
(अर्थ: इस चरण में भावनाओं के अलग-अलग कार्यों का वर्णन है, जैसे भय हमें सुरक्षा देता है और प्रेम हमें जोड़ता है।)

(४) दिमाग और दिल का रिश्ता है
दिमाग और दिल का रिश्ता है, यह दोनों साथ काम करते हैं।
भावनाओं की लहरें, निर्णय लेने में मदद करती हैं।
सच्चाई को पहचानना, यह हमें सिखाती हैं।
दिमाग और दिल का रिश्ता है, यह दोनों साथ काम करते हैं।
(अर्थ: यह चरण बताता है कि भावनाएँ और तर्क मिलकर कैसे निर्णय लेने में सहायक होते हैं।)

(५) यादों का रंग भरती है
यादों का रंग भरती है, हर पल को खास बनाती है।
खुशी और गम के पलों को, मन में सदा रखती है।
भावनाओं के बिना तो, जीवन सूना है।
यादों का रंग भरती है, हर पल को खास बनाती है।
(अर्थ: इस चरण में भावनाओं की स्मृति निर्माण में भूमिका का वर्णन है।)

(६) यह एक भाषा है दिल की
यह एक भाषा है दिल की, जो बिना बोले सब कहती है।
चेहरे के हावभाव से, हर बात समझ में आती है।
जुबान से न कह पाए जो, वह आँखें बयाँ करती हैं।
यह एक भाषा है दिल की, जो बिना बोले सब कहती है।
(अर्थ: यह चरण भावनाओं को एक गैर-मौखिक संचार के माध्यम के रूप में दर्शाता है।)

(७) भावनाओं का स्वागत करें
भावनाओं का स्वागत करें, उन्हें दबाएँ नहीं।
उन्हें समझें, महसूस करें, उन्हें स्वीकार करें।
क्योंकि यही तो हमें, इंसान बनाती हैं।
भावनाओं का स्वागत करें, उन्हें दबाएँ नहीं।
(अर्थ: यह अंतिम चरण भावनाओं को स्वीकार करने और उन्हें दबाने की बजाय समझने की प्रेरणा देता है।)
 
--अतुल परब
--दिनांक-16.08.2025-शनिवार.
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