अलग-अलग संस्कृतियों की अपनी अनूठी रीति-रिवाज क्यों हैं?-कविता: संस्कृति के रंग-

Started by Atul Kaviraje, August 16, 2025, 08:36:48 PM

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Atul Kaviraje

अलग-अलग संस्कृतियों की अपनी अनूठी रीति-रिवाज क्यों हैं?-

हिंदी कविता: संस्कृति के रंग-

(१) पर क्यों दुनिया है इतनी अलग?
पर क्यों दुनिया है इतनी अलग, क्यों हर जगह है एक नया ढंग।
क्यों कोई हाथ मिलाए, कोई करे नमस्ते, कोई झुकाए अपना सिर।
यह रंगों का सागर है, जो हर लहर पर बदलता है।
पर क्यों दुनिया है इतनी अलग, क्यों हर जगह है एक नया ढंग।
(अर्थ: इस चरण में दुनिया की सांस्कृतिक विविधता और अलग-अलग रीति-रिवाजों पर जिज्ञासा व्यक्त की गई है।)

(२) यह धरती ने ही सिखाया
यह धरती ने ही सिखाया, कहाँ कैसे जीना है।
ठंड में गर्म कपड़े, गर्मी में हल्का पहनना है।
यह भूगोल का पाठ है, जो हमें समझाता है।
यह धरती ने ही सिखाया, कहाँ कैसे जीना है।
(अर्थ: यह चरण बताता है कि भौगोलिक और पर्यावरणीय कारक कैसे रीति-रिवाजों को आकार देते हैं।)

(३) इतिहास की यह कहानी है
इतिहास की यह कहानी है, जो हर रिवाज में बसती है।
पुरानी जीत, पुरानी हार, हर प्रथा में दिखती है।
यह हमारे पूर्वजों की विरासत है, जो हमें मिलती है।
इतिहास की यह कहानी है, जो हर रिवाज में बसती है।
(अर्थ: इस चरण में इतिहास और अतीत की घटनाओं का संस्कृति पर पड़ने वाले प्रभाव का वर्णन है।)

(४) धर्मों ने रास्ता दिखाया
धर्मों ने रास्ता दिखाया, जीवन को एक राह दी है।
त्योहार और प्रार्थनाएँ, समाज को एक किया है।
यही तो विश्वास है, जो हमें जोड़ता है।
धर्मों ने रास्ता दिखाया, जीवन को एक राह दी है।
(अर्थ: यह चरण धर्म और रीति-रिवाजों के बीच के गहरे संबंध को बताता है।)

(५) पहचान का यह प्रतीक है
पहचान का यह प्रतीक है, जो हमें गर्व दिलाता है।
जब पहनें हम अपनी पोशाक, मन में सम्मान आता है।
यह हमारी पहचान है, जो हमें अलग बनाती है।
पहचान का यह प्रतीक है, जो हमें गर्व दिलाता है।
(अर्थ: यह चरण रीति-रिवाजों और पहचान निर्माण के बीच के संबंध का उल्लेख करता है।)

(६) यह एक परिवार है
यह एक परिवार है, जो हमें समाज सिखाता है।
कैसे रहें हम साथ, यह हमें बताता है।
यह सामाजिक व्यवस्था है, जो हमें एकजुट रखती है।
यह एक परिवार है, जो हमें समाज सिखाता है।
(अर्थ: यह चरण रीति-रिवाजों की सामाजिक व्यवस्था और एकजुटता बनाए रखने की भूमिका का वर्णन करता है।)

(७) आओ हम सब समझें
आओ हम सब समझें, हर संस्कृति का सम्मान करें।
अलग होते हुए भी, हम सब एक हैं।
यह विविधता ही तो है, जो हमारी दुनिया को सुंदर बनाती है।
आओ हम सब समझें, हर संस्कृति का सम्मान करें।
(अर्थ: यह अंतिम चरण सभी संस्कृतियों का सम्मान करने और दुनिया की विविधता का जश्न मनाने की प्रेरणा देता है।)

--अतुल परब
--दिनांक-16.08.2025-शनिवार.
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