जन्माष्टमी: भक्ति और परंपरा का महापर्व- हिंदी कविता: जन्माष्टमी का पावन पर्व-

Started by Atul Kaviraje, August 17, 2025, 11:51:08 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

१-जन्माष्टमी व्रत-वैष्णव-

२-ज्ञानेश्वर माऊली जन्माष्टमी-

जन्माष्टमी: भक्ति और परंपरा का महापर्व-

हिंदी कविता: जन्माष्टमी का पावन पर्व-

(१) आज का दिन है बहुत ही खास
आज का दिन है बहुत ही खास, हर घर में है कृष्ण का वास।
वैष्णव व्रत और भक्ति की धारा, बहती है हर दिशा में।
अष्टमी की रात है अंधेरी, पर मन में है उजियारा।
आज का दिन है बहुत ही खास, हर घर में है कृष्ण का वास।
(अर्थ: इस चरण में जन्माष्टमी के दिन हर घर में भगवान कृष्ण के आगमन और भक्ति की भावना का वर्णन है।)

(२) ज्ञानेश्वर माऊली का है साथ
ज्ञानेश्वर माऊली का है साथ, वारकरी परंपरा की है बात।
गीता का ज्ञान, ज्ञानेश्वरी में, मिलाया भक्ति के रस से।
आज कान्हा संग माऊली भी, हर दिल में बस जाते हैं।
ज्ञानेश्वर माऊली का है साथ, वारकरी परंपरा की है बात।
(अर्थ: यह चरण संत ज्ञानेश्वर के महत्व और उनकी 'ज्ञानेश्वरी' के माध्यम से भक्ति और ज्ञान के संगम का वर्णन करता है।)

(३) माखन मिश्री का भोग लगाएँ
माखन मिश्री का भोग लगाएँ, कान्हा को झूले में झुलाएँ।
प्यारे लड्डू गोपाल को, प्यार से हम मनाएँ।
नन्हे-मुन्ने कान्हा बनके, भक्तों को खूब हँसाएँ।
माखन मिश्री का भोग लगाएँ, कान्हा को झूले में झुलाएँ।
(अर्थ: इस चरण में भगवान कृष्ण को भोग लगाने और उन्हें झूले में झुलाने की परंपरा का वर्णन है।)

(४) भक्ति का है गहरा रंग
भक्ति का है गहरा रंग, हर दिल में है उनका ही संग।
कर्म करो, फल की चिंता न करो, गीता का यह संदेश है।
जीवन को सफल बनाओ, सत्य के मार्ग पर चलो।
भक्ति का है गहरा रंग, हर दिल में है उनका ही संग।
(अर्थ: यह चरण भगवान कृष्ण द्वारा दिए गए गीता के उपदेश और कर्म के महत्व का उल्लेख करता है।)

(५) मंदिरों में बजते हैं घंटे
मंदिरों में बजते हैं घंटे, हर तरफ खुशियों का माहौल है।
भजन, कीर्तन, नाच और गाना, हर दिल में बस प्यार है।
एकता और सद्भाव का यह पर्व, सबको गले लगाता है।
मंदिरों में बजते हैं घंटे, हर तरफ खुशियों का माहौल है।
(अर्थ: इस चरण में जन्माष्टमी के दिन मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर होने वाले उत्सव और सद्भाव का वर्णन है।)

(६) नया जन्म, नई आशाएँ
नया जन्म, नई आशाएँ, खुशियाँ हैं जीवन की।
ज्ञान की राह पर चलो, यही है कामना जीवन की।
कृष्ण और ज्ञानेश्वर से, हम प्रेरणा पाते हैं।
नया जन्म, नई आशाएँ, खुशियाँ हैं जीवन की।
(अर्थ: यह चरण भगवान कृष्ण और संत ज्ञानेश्वर से मिलने वाली प्रेरणा और जीवन में नई आशाओं का वर्णन करता है।)

(७) जय श्री कृष्ण, जय जय राम
जय श्री कृष्ण, जय जय राम, हर पल जपते हैं उनका नाम।
जीवन में सुख-शांति मिले, यही है कामना सबकी।
आओ मिलकर मनाएँ यह पर्व, दिल से कहें जय श्याम।
जय श्री कृष्ण, जय जय राम, हर पल जपते हैं उनका नाम।
(अर्थ: यह अंतिम चरण भगवान कृष्ण का जयकारा लगाते हुए सभी के लिए सुख और शांति की कामना करता है।)

--अतुल परब
--दिनांक-16.08.2025-शनिवार.
===========================================