स्व-रोजगार में कार्य-जीवन संतुलन कैसे बनाए रखें?- "जीवन का ताल"-

Started by Atul Kaviraje, August 18, 2025, 05:03:06 PM

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Atul Kaviraje

स्व-रोजगार में कार्य-जीवन संतुलन कैसे बनाए रखें?-

"जीवन का ताल"-

1. (पहला चरण)
ज़िंदगी की दौड़ में, चलते रहे कदम,
काम की थकान से, थकते रहे हम।
एक हाथ में लैपी, दूजे में है फोन,
कहता है दिल, "अब रुक जाओ कौन?"

अर्थ: जीवन की दौड़ में हम लगातार काम करते रहते हैं। एक हाथ में लैपटॉप और दूसरे में फोन है, और हमारा मन कहता है कि अब हमें रुकना चाहिए। 🏃�♂️

2. (दूसरा चरण)
सूरज आया-गया, रातें भी ढल गईं,
ऑफिस की दीवारें, घर तक चल गईं।
किताबों को भूला, दोस्तों को भूला,
अपने ही जाल में, खुद को क्यों फूला?

अर्थ: हम इतना काम करते हैं कि दिन-रात का पता ही नहीं चलता। काम की जगह हमारे घर तक आ गई है, और हम अपने ही काम के जाल में फंस गए हैं। 📚

3. (तीसरा चरण)
सुबह की वो चाय, शाम की वो सैर,
जाने क्यों बन गईं, सब से आज बैर?
बच्चों की हँसी, जो दिल को सुहाए,
बस एक नज़र में, वो पल गुम हो जाए।

अर्थ: सुबह की चाय और शाम की सैर जैसी छोटी-छोटी खुशियाँ अब हमारे जीवन से दूर हो गई हैं। बच्चों की हँसी भी हम पूरी तरह से महसूस नहीं कर पाते। 👨�👩�👧�👦

4. (चौथा चरण)
घड़ी की सुई को, थोड़ा तो थामें,
हर एक पल को, खुशी से नामें।
यही तो है जीवन, यही तो है सार,
वर्ना क्या है जीवन, बस एक कारोबार?

अर्थ: हमें अपने जीवन में कुछ समय रुकना चाहिए और हर पल का आनंद लेना चाहिए। यही जीवन का सच्चा सार है। ⏱️

5. (पाँचवाँ चरण)
एक सीमा बना लो, काम और घर की,
एक दीवार खड़ी कर दो, दिल की, दिमाग की।
काम के लिए काम, और खुद के लिए वक्त,
यही तो है ज़िंदगी, और यही है उसका सख्त।

अर्थ: हमें काम और निजी जीवन के बीच एक स्पष्ट सीमा बनानी चाहिए। काम का समय काम के लिए हो और अपना समय खुद के लिए। 🚧

6. (छठा चरण)
छुट्टियाँ मनाओ, फोन को रख दो दूर,
सपनों की दुनिया में, थोड़ा तो हो चूर।
खुद को दो उपहार, वो भी बिना कारण,
यही तो है ख़ुशी का, एक नया संवारन।

अर्थ: छुट्टियों में फोन से दूर रहें और अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करें। बिना किसी कारण खुद को खुशी देने से जीवन में संतुलन आता है। 🎁

7. (सातवाँ चरण)
जीवन की धुन को, बस एक ताल दो,
कभी काम, कभी आराम, बस यही चाल दो।
यह कविता बस, एक छोटा सा संकेत है,
कि जीवन में संतुलन, सबसे बड़ा संकट है।

अर्थ: हमें जीवन में काम और आराम के बीच एक संतुलन बनाना चाहिए। यह कविता इसी महत्वपूर्ण संदेश को देती है। 🎶

--अतुल परब
--दिनांक-18.08.2025-सोमवार.
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