श्रीकृष्ण सरस्वती महाराज पुण्यतिथी-कोल्हापूर- हिंदी कविता: सरस्वती का अमर दान-

Started by Atul Kaviraje, August 19, 2025, 11:44:23 AM

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Atul Kaviraje

श्रीकृष्ण सरस्वती महाराज पुण्यतिथी-कोल्हापूर-

हिंदी कविता: सरस्वती का अमर दान-

चरण 1
कोल्हापुर की पावन धरती,
संतों की ये गाथा कहती।
ज्ञान का सूरज यहाँ उदय हुआ,
जब कृष्ण सरस्वती ने जन्म लिया।

अर्थ: कोल्हापुर की पवित्र भूमि संतों की कथा कहती है। ज्ञान का सूर्य यहाँ तब उदय हुआ जब श्री कृष्ण सरस्वती महाराज ने जन्म लिया।

चरण 2
साधना और त्याग का जीवन,
भक्ति में लीन था हर पल।
शिष्य-शिष्या थे सब इनके,
राह दिखाते थे हर पल।

अर्थ: उनका जीवन साधना और त्याग से भरा था, वे हर पल भक्ति में लीन रहते थे। वे अपने सभी शिष्यों को सही रास्ता दिखाते थे।

चरण 3
पुण्यतिथी का पावन दिवस,
भक्तों का लगा है मेला।
भजन कीर्तन से गूँजता हर कोना,
मन में श्रद्धा का भाव जागा।

अर्थ: पुण्यतिथि के इस पवित्र दिन पर भक्तों का मेला लगा है। हर कोना भजन और कीर्तन से गूँज रहा है, और सबके मन में श्रद्धा का भाव जागा है।

चरण 4
शिष्य-गुरु का रिश्ता गहरा,
ज्ञान का दिया जलता है।
सेवा और भक्ति का संदेश,
हर जन को मिलता है।

अर्थ: गुरु-शिष्य का रिश्ता बहुत गहरा है, ज्ञान का दीपक हमेशा जलता रहता है। सेवा और भक्ति का संदेश हर व्यक्ति को मिलता है।

चरण 5
कर्म का सिद्धांत समझाया,
निस्वार्थ भाव से जीना सिखाया।
माया मोह के बंधन काटे,
मोक्ष का मार्ग सबको बताया।

अर्थ: उन्होंने कर्म के सिद्धांत को समझाया और निस्वार्थ भाव से जीना सिखाया। उन्होंने माया और मोह के बंधनों को तोड़कर सभी को मोक्ष का मार्ग दिखाया।

चरण 6
अब भी उनकी कृपा बरसती,
आश्रम में उनकी ज्योति जलती।
जो भी वहाँ जाता है,
शांति और सुकून पाता है।

अर्थ: उनकी कृपा आज भी बरस रही है, और आश्रम में उनकी दिव्य ज्योति जल रही है। जो भी वहाँ जाता है, उसे शांति और सुकून मिलता है।

चरण 7
सरस्वती का अमर दान,
ज्ञान, भक्ति, और आत्म-ज्ञान।
हम सब मिलकर करें प्रण,
जीवन में रखें गुरु का मान।

अर्थ: सरस्वती महाराज का अमर वरदान ज्ञान, भक्ति और आत्मज्ञान है। हम सब मिलकर यह प्रण लें कि अपने जीवन में गुरु का सम्मान रखेंगे।

--अतुल परब
--दिनांक-18.08.2025-सोमवार.
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