जलवायु परिवर्तन को उलटना: एक वैश्विक चुनौती 🌎-📝🌎🌡️🔥🌳☀️🤝♻️

Started by Atul Kaviraje, August 19, 2025, 07:29:01 PM

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Atul Kaviraje

जलवायु परिवर्तन को उलटना: एक वैश्विक चुनौती 🌎-

जलवायु परिवर्तन पर हिंदी कविता 📝-

1. चरण:

धरती का यह बुखार है,
बढ़ता है हर बार।
ग्लेशियर पिघल रहे,
यह है कैसा हाहाकार।

अर्थ: धरती को बुखार है जो हर बार बढ़ता है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, यह कैसा विनाश है।

2. चरण:

धुंआ और कार्बन का बादल,
छा गया है हर जगह।
साँस लेना है मुश्किल,
यह कैसी है सजा।

अर्थ: धुएँ और कार्बन का बादल हर जगह छा गया है। साँस लेना मुश्किल है, यह कैसी सज़ा है।

3. चरण:

क्या हम इसे रोक पाएंगे,
या बस देखेंगे?
प्रकृति के इस गुस्से को,
हम कब समझेंगे?

अर्थ: क्या हम इसे रोक पाएंगे या सिर्फ देखते रहेंगे? प्रकृति के इस गुस्से को हम कब समझेंगे?

4. चरण:

सूरज और हवा से,
हमें ऊर्जा बनानी है।
पुराने रास्ते छोड़,
एक नई राह पानी है।

अर्थ: हमें सूरज और हवा से ऊर्जा बनानी है। हमें पुराने रास्ते छोड़कर एक नई राह पर चलना है।

5. चरण:

पेड़ लगाएं, नदियाँ बचाएं,
यह है पहला काम।
कार्बन को खींचकर,
पाना है आराम।

अर्थ: पेड़ लगाना और नदियाँ बचाना हमारा पहला काम है। कार्बन को खींचकर हमें राहत पानी है।

6. चरण:

सरकारें भी आगे आएँ,
लें कड़े फैसले।
क्या होगा इस दुनिया का,
अगर सब बैठें ऐसे?

अर्थ: सरकारें भी आगे आएं और कड़े फैसले लें। अगर सब ऐसे ही बैठे रहे तो इस दुनिया का क्या होगा?

7. चरण:

यह एक जंग है हम सबकी,
मिलकर ही लड़ना होगा।
तभी ये धरती, हमारा घर,
फिर से हरा-भरा होगा।

अर्थ: यह हम सबकी एक जंग है, जिसे मिलकर लड़ना होगा। तभी यह धरती, हमारा घर, फिर से हरा-भरा होगा।

इमोजी सारांश: 📝🌎🌡�🔥🌳☀️🤝♻️

--अतुल परब
--दिनांक-19.08.2025-मंगळवार.
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