अजा एकादशी: भक्ति और आस्था का महापर्व- 19 अगस्त, 2025-🕉️🙏✨

Started by Atul Kaviraje, August 20, 2025, 11:22:56 AM

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Atul Kaviraje

अजा  एकादशी-

अजा एकादशी: भक्ति और आस्था का महापर्व-

आज 19 अगस्त, 2025, मंगलवार का दिन है, और आज के दिन हम अजा एकादशी का पावन पर्व मना रहे हैं। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है और हर महीने में दो बार आती है। अजा एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में पड़ती है। इस दिन का व्रत करने से भक्तों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

अजा एकादशी का महत्व और कथा
नाम और महत्व:

अजा एकादशी का नाम इसके कभी न खत्म होने वाले (अजा) लाभों से लिया गया है।

यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है, जो सृष्टि के पालनकर्ता हैं।

इस दिन व्रत रखने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पौराणिक कथा:

अजा एकादशी की कथा राजा हरिश्चंद्र से जुड़ी है।

राजा हरिश्चंद्र ने अपनी दानशीलता और सत्यनिष्ठा के कारण अपना सारा राज-पाट और धन खो दिया था।

वे अपनी पत्नी और पुत्र के साथ एक नीच व्यक्ति के सेवक बन गए, जहाँ उन्हें बहुत कष्ट सहना पड़ा।

एक दिन, उनके गुरु महर्षि गौतम ने उन्हें अजा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी।

राजा हरिश्चंद्र ने श्रद्धापूर्वक यह व्रत किया, जिसके प्रभाव से उन्हें उनका खोया हुआ राज्य, धन और परिवार वापस मिल गया।

यह कथा दर्शाती है कि इस व्रत में कितनी शक्ति है।

व्रत विधि और नियम:

व्रत दशमी तिथि की शाम से शुरू होता है।

एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

व्रतधारी को भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने संकल्प लेना चाहिए।

दिन भर अन्न और जल का त्याग करें।

रात में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा और भजन-कीर्तन करें।

द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करें, अर्थात व्रत खोलें।

पूजा-सामग्री और विधि:

पूजा में तुलसी के पत्ते, पंचामृत, फल, फूल, धूप और दीप का उपयोग करें।

भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, जैसे कि "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"।

भगवान विष्णु की मूर्ति को पीले वस्त्र पहनाएं।

फलाहार और भोजन:

जो लोग व्रत नहीं रख पाते, वे फलाहार कर सकते हैं।

फलाहार में फल, दूध, और साबूदाना जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

व्रत के दौरान चावल और अन्न का सेवन बिल्कुल न करें।

आध्यात्मिक लाभ:

यह व्रत मन और आत्मा को शुद्ध करता है।

पापों का नाश होता है।

आंतरिक शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।

यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति के लिए एक शक्तिशाली साधन है।

शुभ संयोग और प्रभाव:

आज का दिन मंगलवार होने से यह व्रत और भी प्रभावी हो गया है।

मंगलवार हनुमान जी को समर्पित है, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु के साथ हनुमान जी की भी पूजा करना शुभ माना जाता है।

इन दोनों देवताओं की कृपा से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं।

सांस्कृतिक महत्व:

यह दिन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।

लोग इस दिन मंदिरों में जाकर भगवान के दर्शन करते हैं।

गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करते हैं।

आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता:

आज के व्यस्त जीवन में, यह व्रत हमें अपने विचारों को शुद्ध करने और मानसिक शांति पाने का अवसर देता है।

यह हमें अपनी संस्कृति और जड़ों से जोड़े रखता है।

सारांश:

अजा एकादशी का व्रत राजा हरिश्चंद्र के सत्य और त्याग का प्रतीक है।

यह व्रत हमें सिखाता है कि ईमानदारी और सच्ची भक्ति से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है।

यह दिन हमें सकारात्मकता, भक्ति और सेवा का संदेश देता है।

प्रतीकात्मकता और इमोजी
विष्णु जी का चेहरा: भगवान विष्णु, पालनकर्ता।

कमल का फूल: पवित्रता और दिव्यता।

शंख: शुभता और सकारात्मक ऊर्जा।

हाथ जोड़ना: भक्ति और समर्पण।

दीया: ज्ञान और प्रकाश।

इमोजी सारांश: 🕉�🙏✨🪷

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-19.08.2025-मंगळवार.
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