बृहस्पति पूजन (बृहस्पतिवार व्रत) 🗓️⭐गुरुवार, २१ अगस्त, २०२५-1-

Started by Atul Kaviraje, August 22, 2025, 11:14:23 AM

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Atul Kaviraje

बृहस्पति पूजन-

बृहस्पति पूजन (बृहस्पतिवार व्रत) 🗓�⭐

आज, गुरुवार, २१ अगस्त, २०२५ के दिन, हम सभी बृहस्पति देव की पूजा और उनके महत्व पर एक विस्तृत लेख प्रस्तुत कर रहे हैं। बृहस्पति देव को 'गुरु' के रूप में भी जाना जाता है और उन्हें ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा और वैवाहिक सुख का कारक माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। 🙏✨

१. बृहस्पति पूजन का महत्व और उद्देश्य 💛
बृहस्पतिवार का व्रत और पूजा बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए की जाती है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करना, धन-धान्य में वृद्धि करना और परिवार में सुख-शांति बनाए रखना है। जो लोग विवाह में देरी या वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है। यह व्रत ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी किया जाता है। 📖📚

२. पूजन की विधि और सामग्री 🥣🍌
बृहस्पतिवार की पूजा विधि अत्यंत सरल है।

सामग्री: केले का पेड़ 🍌, चने की दाल 🥣, गुड़, हल्दी 🧡, पीले वस्त्र 🎽, पीली मिठाई 🍮, पीले फूल 🌼, धूप और दीप।

पूजा विधि:

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले रंग के वस्त्र पहनें।

पूजा स्थल को साफ करें और एक चौकी पर बृहस्पति देव की मूर्ति या तस्वीर रखें।

केले के पेड़ के पास पूजा करें। यह माना जाता है कि केले के पेड़ में ही बृहस्पति देव का वास होता है।

केले के पेड़ को जल अर्पित करें और चने की दाल, गुड़ और हल्दी चढ़ाएं।

पीले फूल और मिठाई अर्पित करें।

बृहस्पति कथा का पाठ करें और आरती करें।

३. बृहस्पति देव की कथा 📜
इस व्रत की कथा अत्यंत प्रेरणादायक है। एक समय की बात है, एक गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था। उसकी पत्नी बहुत व्रत और पूजा करती थी, लेकिन ब्राह्मण धन के अभाव में दुखी था। एक दिन, बृहस्पति देव स्वयं ब्राह्मण के घर आए और उसे गुरुवार का व्रत करने की सलाह दी। ब्राह्मण ने श्रद्धापूर्वक व्रत किया और धीरे-धीरे उसका जीवन सुख-समृद्धि से भर गया। इस कथा से हमें यह संदेश मिलता है कि सच्ची श्रद्धा और भक्ति से किया गया कोई भी कार्य सफल होता है।

४. व्रत के नियम और सावधानियाँ 🚫💧
नियम:

पूरे दिन केवल एक ही बार भोजन करें और वह भी नमक रहित होना चाहिए।

पीले रंग के वस्त्र पहनें।

केले का सेवन न करें और केले का दान करें।

पूजा के दौरान मन को शांत और सकारात्मक रखें।

सावधानियाँ:

व्रत वाले दिन साबुन या डिटर्जेंट का प्रयोग न करें।

घर में कपड़े न धोएं और बाल न धोएं।

व्रत के दौरान किसी से झूठ न बोलें या किसी का अपमान न करें।

५. वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण 🪐🔬
ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को सबसे शुभ ग्रह माना जाता है। यह ज्ञान, समृद्धि और भाग्य का प्रतीक है। कुंडली में बृहस्पति की मजबूत स्थिति व्यक्ति को सफलता, सम्मान और वैवाहिक सुख प्रदान करती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, गुरुवार को पीले रंग का संबंध सकारात्मक ऊर्जा और सूर्य के प्रकाश से जोड़ा जाता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-21.08.2025-गुरुवार.
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