सावळाज यात्रा: भक्ति, श्रद्धा और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक-

Started by Atul Kaviraje, August 24, 2025, 11:00:08 AM

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Atul Kaviraje

सावळाज यात्रा-

सावळाज यात्रा: भक्ति, श्रद्धा और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक-

हिंदी कविता: सावळाज यात्रा का गान-

चरण 1
शनिवार का दिन है आया,
सावळाज में मन हर्षाया।
विठ्ठल-रुक्मिणी का धाम,
जय-जय होता है उनका नाम।
अर्थ: आज शनिवार का दिन है, सावळाज गाँव में मन आनंदित है। यह भगवान विठ्ठल-रुक्मिणी का धाम है और उनका नाम बार-बार जपा जा रहा है।

चरण 2
पालकी सजी है फूलों से,
चल रहे हैं भक्त टोलों से।
पाऊँ-पाऊँ करते हैं भजन,
प्रभु को करते हैं अर्पण।
अर्थ: पालकी फूलों से सजी है और भक्त समूह में चल रहे हैं। वे भजन गाते हुए हर कदम पर भगवान को अपना जीवन समर्पित करते हैं।

चरण 3
नहीं कोई भेद, नहीं कोई जात,
सबका है एक ही साथ।
धर्म की ये पावन डगर,
ले जाती है सबकी खबर।
अर्थ: इस यात्रा में कोई भेदभाव नहीं है, सभी भक्त एक साथ हैं। यह पवित्र धार्मिक यात्रा सभी का ख्याल रखती है।

चरण 4
भक्तों का मन है निर्मल,
आँखों में है बस आँचल।
प्रभु के दर्शन की है आस,
दूर हो जाता हर एक त्रास।
अर्थ: भक्तों का मन शुद्ध है और उनकी आँखों में केवल श्रद्धा है। उन्हें भगवान के दर्शन की आशा है, जिससे उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं।

चरण 5
दूर-दूर से आते हैं लोग,
ले जाते हैं सारे रोग।
आशीर्वाद जब मिले अपार,
जीवन हो जाता है भव पार।
अर्थ: भक्त दूर-दूर से आते हैं और उनके सभी रोग दूर हो जाते हैं। जब भगवान का आशीर्वाद मिलता है, तो जीवन की हर बाधा दूर हो जाती है।

चरण 6
सेवा का भाव है हर मन में,
खुशियाँ हैं इस पावन वन में।
बाँटते हैं प्रसाद और प्यार,
भर जाता है हर परिवार।
अर्थ: हर किसी के मन में सेवा का भाव है और इस पवित्र जगह में खुशी है। वे प्रसाद और प्यार बांटते हैं, जिससे हर परिवार भर जाता है।

चरण 7
जीवन का है ये ही सार,
भक्ति से हो भव पार।
सावळाज का धाम है अनमोल,
बोलो-बोलो विठ्ठल बोल।
अर्थ: जीवन का यही सार है कि भक्ति से ही मोक्ष मिल सकता है। सावळाज का धाम बहुत कीमती है, इसलिए सभी को "विठ्ठल" का नाम जपना चाहिए।

--अतुल परब
--दिनांक-23.08.2025-शनिवार.
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