राष्ट्रीय अन्तराल दिवस: जीवन को विराम, मन को शांति-

Started by Atul Kaviraje, August 24, 2025, 11:02:28 AM

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Atul Kaviraje

राष्ट्रीय अन्तराल दिवस-

राष्ट्रीय अन्तराल दिवस: जीवन को विराम, मन को शांति-

हिंदी कविता: जीवन का एक पल-

चरण 1
सुबह से शाम तक है दौड़,
ना है कोई अंत, ना है कोई छोड़।
मन की थकान अब बढ़ी है,
नयी राह जीवन में मुड़ी है।
अर्थ: सुबह से शाम तक बस भागदौड़ है, जिसका कोई अंत नहीं। इस कारण मन की थकान बढ़ गई है और जीवन एक नए मोड़ पर आ गया है।

चरण 2
मोबाइल की घंटी है बजती,
हर क्षण हमारी ऊर्जा घटती।
आओ आज सब कुछ छोड़ें,
जीवन से थोड़ा नाता जोड़ें।
अर्थ: मोबाइल की घंटी लगातार बजती रहती है, जिससे हमारी ऊर्जा हर पल घट रही है। इसलिए, आओ आज सब कुछ छोड़कर अपने जीवन से थोड़ा संबंध जोड़ें।

चरण 3
ना कोई ईमेल, ना कोई काम,
आज जीवन में है पूरा आराम।
बाहर है प्रकृति की पुकार,
आओ लें एक लंबी साँस यार।
अर्थ: आज कोई ईमेल या काम नहीं है, जीवन में पूरी तरह से आराम है। बाहर से प्रकृति हमें बुला रही है, आओ एक लंबी साँस लें।

चरण 4
चिड़ियों की चहचहाहट सुनो,
फूलों की ख़ुशबू को चुनो।
ना कोई चिंता, ना कोई फ़िक्र,
बस खुद के लिए है आज ज़िक्र।
अर्थ: आज चिड़ियों की चहचहाहट सुनें और फूलों की खुशबू का आनंद लें। कोई चिंता या फिक्र नहीं है, आज बस खुद के बारे में सोचना है।

चरण 5
आँखें बंद कर ध्यान लगाओ,
अपने अंदर ही शांति पाओ।
जो खोया था वर्षों से,
वो सुकून आज पाओ मन से।
अर्थ: आँखें बंद करके ध्यान लगाओ और अपने अंदर ही शांति पाओ। वह सुकून जो वर्षों से खोया था, उसे आज मन से पाओ।

चरण 6
रिश्तों की डोर है मज़बूत होती,
जब सब मिलकर एक होते।
परिवार के संग बिताओ पल,
यही तो है जीवन का हल।
अर्थ: जब सब मिलकर एक होते हैं, तो रिश्तों की डोर मजबूत होती है। परिवार के साथ बिताया गया हर पल ही जीवन का सही समाधान है।

चरण 7
जीवन को देना है एक विराम,
ताकि फिर से हो काम तमाम।
ये अन्तराल जीवन का सार,
भर दे मन में ख़ुशियों की बहार।
अर्थ: जीवन को एक विराम देना बहुत जरूरी है, ताकि हम फिर से अपने काम को बेहतर तरीके से कर सकें। यह विराम ही जीवन का सार है, जो मन में खुशियों की बहार भर देता है।

--अतुल परब
--दिनांक-23.08.2025-शनिवार.
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