मुद्रास्फीति नियंत्रण: सरकार के प्रयास और आम आदमी पर प्रभाव-महंगाई की गाथा-

Started by Atul Kaviraje, August 24, 2025, 11:04:05 AM

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Atul Kaviraje

मुद्रास्फीति नियंत्रण: सरकार के प्रयास और आम आदमी पर प्रभाव-

हिंदी कविता: महंगाई की गाथा-

चरण 1
बाजार में लगी है आग,
पैसे का घट रहा है भाग।
सब्जी-रोटी भी हुई महंगी,
बचत अब बन गई है तंगी।
अर्थ: बाजार में कीमतें बहुत बढ़ गई हैं और पैसे का मूल्य कम हो रहा है। सब्जी और रोटी भी महंगी हो गई हैं, जिससे बचत अब तंगी बन गई है।

चरण 2
जो थैला भरता था कल तक,
आज वो आधा भी न भरता।
दाल, तेल और शक्कर की कीमत,
आम आदमी की तोड़ रही हिम्मत।
अर्थ: जो थैला कल तक पूरा भर जाता था, आज वो आधा भी नहीं भर पा रहा है। दाल, तेल और शक्कर की बढ़ती कीमतें आम आदमी का हौसला तोड़ रही हैं।

चरण 3
पिता की माथे पर चिंता,
माँ का दिल अब दुखता।
बच्चों के सपने हैं महंगे,
घर के खर्च अब हो गए तेंगे।
अर्थ: पिता के माथे पर चिंता है और माँ का दिल दुख रहा है। बच्चों के सपने भी अब महंगे हो गए हैं, और घर के खर्च बहुत बढ़ गए हैं।

चरण 4
सरकार ने उठाई है तलवार,
ब्याज दर पर किया है वार।
आपूर्ति की भी है चिंता,
क्या इससे जनता को राहत मिलता?
अर्थ: सरकार ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि की है। उन्हें आपूर्ति की भी चिंता है, लेकिन क्या इससे जनता को राहत मिलेगी?

चरण 5
कभी नीति, कभी योजना,
सरकार करती है हर कामना।
पर आम आदमी की ये आह,
क्या सुन पाएगा कोई राह?
अर्थ: सरकार कभी नीति बनाती है, तो कभी योजनाएं लाती है। लेकिन आम आदमी की यह आह क्या कोई सुन पाएगा?

चरण 6
बचत अब होती है कम,
कैसे बनेगी घर की रस्म?
हर ख्वाब अब है अधूरा,
कैसे बनेगा जीवन पूरा?
अर्थ: अब बचत बहुत कम होती है, घर के खर्च कैसे चलेंगे? हर सपना अधूरा है, जीवन पूरा कैसे होगा?

चरण 7
आशा है अब भी दिल में बाकी,
आएगी कल फिर से शांति।
कब तक सहेंगे ये मार,
जीवन हो फिर से बहार।
अर्थ: दिल में अभी भी आशा बाकी है कि कल फिर से शांति आएगी। कब तक हम यह मार सहेंगे, हमारा जीवन फिर से खुशहाल होगा।

--अतुल परब
--दिनांक-23.08.2025-शनिवार.
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