🙏 महादेवगिरी महाराज पुण्यतिथी: एक श्रद्धा सुमन 🙏-🙏🕊️❤️✨📚

Started by Atul Kaviraje, August 25, 2025, 10:36:52 AM

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Atul Kaviraje

महादेवगिरी महाराज पुण्यतिथी-कुंडल, तालुका-पळूस-

🙏 महादेवगिरी महाराज पुण्यतिथी: एक श्रद्धा सुमन 🙏-

महादेवगिरी महाराज पर एक सुंदर कविता-

चरण 1
आज है वो पावन दिन, जब कुंडल में मेला है।
महादेवगिरी महाराज की, यादों का रेला है।
भीतर का हर कोना, श्रद्धा से भीगा है।
गुरु की कृपा का, हर ओर फैला उजाला है।

अर्थ: आज वह पवित्र दिन है जब कुंडल में एक विशाल मेला लगता है, जो महादेवगिरी महाराज की यादों से भरा है। मन का हर कोना श्रद्धा से भर जाता है, क्योंकि गुरु की कृपा का प्रकाश हर जगह फैला हुआ है।

चरण 2
तन को उन्होंने त्यागा, पर आत्मा अमर रही।
हर भक्त के हृदय में, उनकी ज्योति जगी रही।
शब्दों में नहीं, कर्मों में, उनकी कहानी बसी।
सेवा और प्रेम की, हर दिल में वो बसी।

अर्थ: उन्होंने भले ही अपना शरीर त्याग दिया हो, लेकिन उनकी आत्मा अमर है। उनकी शिक्षाओं की ज्योति हर भक्त के हृदय में जल रही है। उनकी कहानी शब्दों में नहीं, बल्कि उनके सेवा और प्रेम के कर्मों में बसी है।

चरण 3
कुंडल की पावन माटी, धन्य हुई उनके स्पर्श से।
शांत और निर्मल मन, मिला उनके आदर्श से।
नदियों के बहते जल में, उनकी कहानी बही।
हर साँस में उनकी, भक्ति की राह मिली।

अर्थ: कुंडल की पवित्र भूमि उनके स्पर्श से धन्य हो गई है। उनके आदर्शों से शांत और निर्मल मन की प्राप्ति हुई। नदियों के बहते जल में उनकी कहानी बह रही है और हर साँस में उनकी भक्ति की राह मिल रही है।

चरण 4
ना कोई भेद भाव, ना कोई ऊँच-नीच।
सबको दिया प्रेम, हर रिश्ता था मीच।
अंधेरों को हटाकर, ज्ञान का दीपक जलाया।
भूखे को भोजन दिया, प्यासे को पानी पिलाया।

अर्थ: उन्होंने कभी भी किसी में कोई भेदभाव नहीं किया। उन्होंने सभी को प्रेम दिया और हर रिश्ते को मजबूत बनाया। उन्होंने अज्ञान के अंधेरे को हटाकर ज्ञान का दीपक जलाया और भूखे-प्यासों की सेवा की।

चरण 5
आँखें बंद करो, और दिल से पुकारो उन्हें।
उनकी कृपा ज़रूर मिलेगी, तुम भी पुकारो उन्हें।
भजन कीर्तन में देखो, आज भी वो मौजूद हैं।
हर भक्त के दुख-सुख में, आज भी वो मौजूद हैं।

अर्थ: अपनी आँखें बंद करके दिल से उन्हें याद करो। उनकी कृपा ज़रूर मिलेगी। भजन और कीर्तन में भी वे आज मौजूद हैं। वे हर भक्त के दुख और सुख में साथ हैं।

चरण 6
पुण्यतिथी ये नहीं, एक नया आरंभ है।
आध्यात्मिक यात्रा का, ये एक नया पड़ाव है।
उनके दिखाए पथ पर, अब हम चलेंगे।
सच्चाई और भक्ति की, राह कभी ना छोड़ेंगे।

अर्थ: यह पुण्यतिथी नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है, एक नई आध्यात्मिक यात्रा का पड़ाव है। हम उनके दिखाए मार्ग पर चलेंगे और सच्चाई और भक्ति की राह कभी नहीं छोड़ेंगे।

चरण 7
हे गुरुवर, आपको हमारा, यह श्रद्धा सुमन।
आपकी कृपा बनी रहे, यही है कामना।
सदा हमारे मार्ग को, प्रकाशित करते रहना।
आपके चरणों में ही, हम सबको शरण देना।

अर्थ: हे गुरुवर, यह फूल हमारी श्रद्धा का प्रतीक है। हमारी यही कामना है कि आपकी कृपा हमेशा हम पर बनी रहे। हमारे मार्ग को हमेशा प्रकाशित करते रहना और हमें अपने चरणों में ही शरण देना।

संक्षेप: 🙏🕊�❤️✨📚

--अतुल परब
--दिनांक-24.08.2025-रविवार.
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