वराह जयंती: पृथ्वी के उद्धारकर्ता का प्रकाश पर्व 🙏-धरती का उद्धार-

Started by Atul Kaviraje, August 26, 2025, 11:33:53 AM

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Atul Kaviraje

वराह जयंती-

वराह जयंती: पृथ्वी के उद्धारकर्ता का प्रकाश पर्व 🙏-

वराह: धरती का उद्धार (कविता) 📜-

1.
सागर में जब डूबी धरती, मचा था हाहाकार,
तपस्वी थे व्याकुल, हर तरफ था अंधकार।
विष्णु ने सुना पुकारा, लिया नया अवतार,
गरजा एक वराह, किया धर्म का विस्तार।

2.
हिरण्याक्ष राक्षस, था अपने बल पर अभिमानी,
सोचा उसने, अब धरती की खत्म कहानी।
उसने धरती को ले जाकर, गहरे जल में छुपाया,
संसार पर अपनी शक्ति का, झूठा भ्रम फैलाया।

3.
फिर आए प्रभु वराह, बनके एक महाकाय,
उनकी विशाल काया से, काँपी थी सारी काय।
गर्जना से उनकी, पाताल भी हिल गया,
असुरों का अहंकार, उसी क्षण मिट गया।

4.
अपने मजबूत दाँतों पर, धरती को उठाया,
माँ ने अपने पुत्र को, जैसे गोदी में पाया।
धीरे-धीरे वो उठे, लेकर पृथ्वी का भार,
लाए उसे ऊपर, मिटाया हर दुख-संताप।

5.
हुआ भीषण युद्ध, वराह और हिरण्याक्ष में,
धर्म और अधर्म का, हुआ महासंग्राम।
अहंकार का सर, प्रभु ने धड़ से अलग किया,
पृथ्वी को फिर से, नया जीवन दिया।

6.
फूलों की वर्षा हुई, देवता जयकार करें,
जय वराह, जय वराह, सब मिलकर पुकार करें।
भक्तों के मन में, एक नई आशा जगी,
भक्ति की ज्योत, हर घर में जलने लगी।

7.
हे वराह देव, हमारी भी रक्षा करना,
सत्य के मार्ग पर, हमको भी चलना सिखाना।
इस पृथ्वी को भी, हर विपदा से बचाना,
तुम्हारे चरणों में, हम सबका है ठिकाना।

प्रत्येक चरण का हिंदी अर्थ
1.
अर्थ: यह चरण उस समय का वर्णन करता है जब राक्षस हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को जल में डुबो दिया था। तब भगवान विष्णु ने वराह का रूप लिया और धर्म की स्थापना के लिए गर्जना की।

2.
अर्थ: इसमें अहंकारी राक्षस हिरण्याक्ष का उल्लेख है, जिसने अपनी शक्ति पर घमंड करके पृथ्वी को गहरे जल में छिपा दिया था, यह सोचते हुए कि अब पृथ्वी पर जीवन समाप्त हो जाएगा।

3.
अर्थ: यह चरण भगवान वराह के शक्तिशाली और विशाल रूप का वर्णन करता है। उनकी एक गर्जना से ही पाताल लोक कांप गया और राक्षसों का घमंड उसी क्षण नष्ट हो गया।

4.
अर्थ: इसमें उस दिव्य दृश्य का वर्णन है जब भगवान वराह ने अपने मजबूत दाँतों पर पृथ्वी को उठाया, जैसे कोई माँ अपने बच्चे को गोद में लेती है। उन्होंने पृथ्वी को जल से बाहर निकालकर सभी दुखों को दूर किया।

5.
अर्थ: यह चरण भगवान वराह और राक्षस हिरण्याक्ष के बीच हुए भयंकर युद्ध का वर्णन करता है, जिसमें धर्म की अधर्म पर विजय हुई। भगवान ने अहंकार से भरे राक्षस का वध करके पृथ्वी को एक नया जीवन दिया।

6.
अर्थ: यह भगवान की जीत का जश्न दिखाता है। देवताओं ने फूलों की वर्षा की और सभी ने मिलकर "जय वराह" का जयघोष किया। भक्तों के मन में नई आशा जगी और हर घर में भक्ति का दीप जल उठा।

7.
अर्थ: अंतिम चरण एक प्रार्थना है, जिसमें भक्त भगवान वराह से अपनी और पृथ्वी की रक्षा करने की प्रार्थना करते हैं। वे उनसे सत्य के मार्ग पर चलने की शक्ति मांगते हैं और कहते हैं कि उनके चरणों में ही सभी को शरण मिलती है।

इमोजी सारांश:
🎶 भजन और कीर्तन
💧 जल से उद्धार
✨ दिव्य शक्ति
❤️ प्रेम और करुणा
🙏 प्रार्थना और समर्पण

--अतुल परब
--दिनांक-25.08.2025-सोमवार.
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