वराह जयंती: पृथ्वी के उद्धारकर्ता का प्रकाश पर्व 🙏- सोमवार, 25 अगस्त 2025-

Started by Atul Kaviraje, August 26, 2025, 11:48:22 AM

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Atul Kaviraje

वराह जयंती-

वराह जयंती: पृथ्वी के उद्धारकर्ता का प्रकाश पर्व 🙏-

आज, सोमवार, 25 अगस्त 2025, भगवान विष्णु के तीसरे अवतार, वराह जयंती का पावन पर्व है। यह दिवस भगवान के उस रूप का स्मरण कराता है, जिसने पृथ्वी को गहरे जल से निकालकर मानवता की रक्षा की। वराह जयंती केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह भक्ति, संरक्षण और धर्म की स्थापना के संदेश का प्रतीक है। यह लेख इस पावन अवसर के महत्व, उससे जुड़ी कथा और उसके गहरे अर्थ पर एक भक्तिपूर्ण विवेचन प्रस्तुत करता है।

1. परिचय और धार्मिक महत्व:
वराह जयंती, भगवान विष्णु के तीसरे अवतार वराह के जन्म की जयंती के रूप में मनाई जाती है। हिंदू धर्म में, जब-जब पृथ्वी पर संकट आता है, भगवान विष्णु धर्म की रक्षा के लिए विभिन्न अवतार लेते हैं। वराह अवतार इसी श्रृंखला की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह जयंती मानवता को बचाने के लिए किए गए ईश्वर के असाधारण प्रयासों को समर्पित है।

2. वराह अवतार की कथा:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक शक्तिशाली राक्षस, हिरण्याक्ष, ने पृथ्वी को चुराकर गहरे जल (पाताल लोक) में छिपा दिया था। इससे पूरी पृथ्वी पानी में डूब गई थी और जीवन संकट में था। देवताओं और ऋषियों ने भगवान विष्णु से इस संकट से उबारने की प्रार्थना की। 🌍

3. पृथ्वी का उद्धार:
देवताओं की प्रार्थना पर, भगवान विष्णु ने एक विशाल और शक्तिशाली वराह (जंगली सूअर) का रूप धारण किया। अपने विशाल दांतों पर पृथ्वी को संतुलित करके, उन्होंने उसे जल से बाहर निकाला और उसे फिर से उसकी उचित जगह पर स्थापित किया। यह भगवान की शक्ति और पृथ्वी के प्रति उनके असीम प्रेम का प्रतीक है।

4. हिरण्याक्ष का वध:
वराह अवतार का उद्देश्य केवल पृथ्वी को जल से बाहर निकालना नहीं था, बल्कि उसे चुराने वाले अहंकारी राक्षस हिरण्याक्ष का वध करना भी था। भगवान वराह ने हिरण्याक्ष के साथ एक भयंकर युद्ध किया और अंततः उसका संहार कर धर्म की स्थापना की। 🗡�

5. मूर्तिकला और प्रतीकात्मकता:
हिंदू मंदिरों में, भगवान वराह की मूर्तियों में उन्हें अक्सर एक विशाल वराह के रूप में दर्शाया जाता है, जिनके दाँतों पर पृथ्वी एक गेंद की तरह रखी हुई है। यह छवि भगवान के संरक्षक रूप और पृथ्वी के साथ उनके गहरे संबंध को दर्शाती है। यह हमें यह भी सिखाता है कि पृथ्वी की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।

6. पूजा-विधि और अनुष्ठान:
वराह जयंती के दिन, भक्तजन भगवान विष्णु के इस अवतार की विशेष पूजा करते हैं।

उपवास: कई भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और पूरे दिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करते हैं।

अभिषेक: भगवान वराह की मूर्तियों का दूध, दही और शहद से अभिषेक किया जाता है।

मंत्र जाप: 'ॐ नमो भगवते वराहरूपाय' मंत्र का जाप किया जाता है।

7. भक्ति और समर्पण का संदेश:
वराह अवतार की कथा हमें बताती है कि सच्ची भक्ति और विश्वास से ही ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। जिस तरह देवताओं की प्रार्थना पर भगवान वराह ने अवतार लिया, उसी तरह सच्चे मन से की गई प्रार्थनाएँ हमेशा सुनी जाती हैं। यह हमें बिना शर्त समर्पण का महत्व सिखाता है। 🙏

8. पर्यावरण संरक्षण से संबंध:
वराह अवतार की कथा का आधुनिक संदर्भ भी है। यह कथा पृथ्वी को बचाने के बारे में है, जो आज के समय में पर्यावरण संरक्षण का एक मजबूत संदेश देती है। यह हमें सिखाता है कि पृथ्वी हमारी माता है और हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए। 🌿

9. उदाहरण और उपदेश:

'एक दाँत पर पृथ्वी': यह एक दृश्य उदाहरण है जो दर्शाता है कि भगवान एक छोटे से दाँत पर पूरी पृथ्वी का बोझ उठा सकते हैं। यह हमें विश्वास और साहस का संदेश देता है कि जब हम धर्म के मार्ग पर होते हैं तो ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

अहंकार का विनाश: हिरण्याक्ष का अहंकार ही उसके विनाश का कारण बना। यह कहानी हमें बताती है कि अहंकार सभी दुखों का मूल है और इसका त्याग करना आवश्यक है।

10. संदेश और संकल्प:
वराह जयंती का संदेश है कि हमें अपनी पृथ्वी का सम्मान करना चाहिए और उसकी रक्षा करनी चाहिए। आइए, हम इस दिन यह संकल्प लें कि हम पर्यावरण को बचाएंगे, सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलेंगे, और अपने जीवन में करुणा और अहिंसा को अपनाएंगे।

इमोजी सारांश:
🐷 वराह अवतार
🌍 पृथ्वी का उद्धार
🌊 गहरा सागर
✨ दिव्य शक्ति
🔥 बुराई का विनाश
❤️ ईश्वर का प्रेम
🌿 पर्यावरण संरक्षण

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-25.08.2025-सोमवार.
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