जैन संवस्तरी-चतुर्थी पक्ष- हिंदी कविता - क्षमा पर्व संवत्सरी-🧘‍♂️🙏🕊️✨

Started by Atul Kaviraje, August 28, 2025, 02:16:24 PM

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Atul Kaviraje

जैन संवस्तरी-चतुर्थी पक्ष-

हिंदी कविता - क्षमा पर्व संवत्सरी-

संवत्सरी का पावन पर्व है आया,
साथ में क्षमा और प्रेम है लाया।
एक वर्ष का हिसाब है आज करना,
गलतियों को अपनी हमें है पहचानना।
अर्थ: संवत्सरी का पवित्र त्योहार आ गया है, जो अपने साथ क्षमा और प्रेम लेकर आया है। आज हमें पूरे वर्ष का हिसाब करना है और अपनी गलतियों को पहचानना है।

मिच्छामि दुक्कड़म् हम कहते हैं आज,
हल्का कर लेते हैं दिल का सब बोझ।
क्रोध, मान, माया, लोभ को छोड़ दें,
प्रेम की राह पर हम सब बढ़ें।
अर्थ: आज हम "मिच्छामि दुक्कड़म्" कहते हैं, जिससे हमारे दिल का सारा बोझ हल्का हो जाता है। हम क्रोध, अभिमान, माया और लालच को छोड़कर प्रेम के मार्ग पर आगे बढ़ें।

दिल के मैल को अब है धोना,
न कोई शत्रु, न कोई है बैरी होना।
सब जीवों से क्षमा की हम करें याचना,
मन में न रहे कोई भी अब कामना।
अर्थ: हमें अपने मन की गंदगी को धोना है। अब कोई हमारा दुश्मन नहीं है। हम सभी जीवों से क्षमा की प्रार्थना करते हैं, ताकि मन में कोई इच्छा न रहे।

प्रतिक्रमण का ये सुंदर विधान,
दिखाता है हमको सही ज्ञान।
कैसे करें हम आत्मा को शुद्ध,
जैसे जल में होता है कमल बुद्ध।
अर्थ: प्रतिक्रमण की यह सुंदर प्रक्रिया हमें सही ज्ञान दिखाती है। यह सिखाती है कि हम अपनी आत्मा को कैसे शुद्ध करें, जैसे कमल कीचड़ में भी शुद्ध रहता है।

पर्युषण के दस दिन की तपस्या,
करती है हमारी हर इच्छा का नाश।
अंत में मिलता है क्षमा का सुख,
चेहरे पर आती है एक अनोखी चमक।
अर्थ: पर्युषण के दस दिनों की तपस्या हमारी हर इच्छा को समाप्त कर देती है। अंत में हमें क्षमा का सुख मिलता है, जिससे हमारे चेहरे पर एक अनोखी चमक आती है।

🕊�❤️
आओ, हम सब मिलकर ये प्रण लें,
कभी न किसी का दिल दुखाएँ।
अहिंसा, सत्य और प्रेम का मार्ग,
मिलेगा इस राह पर हमें स्वर्ग।
अर्थ: आओ, हम सब मिलकर यह प्रतिज्ञा लें कि हम कभी किसी का दिल नहीं दुखाएँगे। अहिंसा, सत्य और प्रेम के मार्ग पर चलने से हमें स्वर्ग मिलेगा।

संवत्सरी है बस एक दिन की बात नहीं,
पूरे जीवन का ये है एक सारथी।
क्षमा और प्रेम को जीवन में बसाएँ,
तो हर दिन संवत्सरी हो जाए।
अर्थ: संवत्सरी केवल एक दिन का त्योहार नहीं है, बल्कि यह पूरे जीवन का एक साथी है। यदि हम क्षमा और प्रेम को अपने जीवन में अपना लें, तो हमारा हर दिन संवत्सरी बन जाएगा।

प्रतीक और इमोजी: 🧘�♂️🙏🕊�✨

🧘�♂️ (ध्यान): आत्म-मंथन और शांति का प्रतीक।

🙏 (हाथ जोड़ना): विनय और क्षमाशीलता का प्रतीक।

🕊� (कबूतर): मन की शांति और सद्भाव का प्रतीक।

✨ (चमक): आंतरिक शुद्धि और नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक।

इमोजी सारांश: ये इमोजी संवत्सरी के पर्व की शांत, पवित्र और आत्म-सुधार की भावना को व्यक्त करते हैं। वे हमें मन की शांति और शुद्धता की ओर प्रेरित करते हैं।

--अतुल परब
--दिनांक-27.08.2025-बुधवार.
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