श्री गणेश चतुर्थी-1-🕉️🐘🔔🙏✨

Started by Atul Kaviraje, August 28, 2025, 02:29:40 PM

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Atul Kaviraje

श्री गणेश चतुर्थी-

आज 27 अगस्त, बुधवार को, हम सब मिलकर श्री गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मना रहे हैं। यह दिन भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह त्योहार न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भक्ति, एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है।

श्री गणेश चतुर्थी: एक भक्तिपूर्ण और विस्तृत विवेचनात्मक लेख-

1. श्री गणेश चतुर्थी का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व
गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से गणेश जी की रचना की थी और उन्हें अपनी गुफा की रक्षा करने के लिए नियुक्त किया था। जब भगवान शिव वापस आए, तो गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया, जिससे क्रोधित होकर शिव जी ने उनका सिर काट दिया। माता पार्वती के दुख को देखकर, शिव जी ने एक हाथी के बच्चे का सिर उनके धड़ पर लगाया और उन्हें पुनर्जीवित किया। तभी से गणेश जी को गजमुख देवता के रूप में पूजा जाता है।

2. लोकमान्य तिलक और सार्वजनिक गणेशोत्सव
गणेश चतुर्थी को एक सार्वजनिक उत्सव के रूप में पुनर्जीवित करने का श्रेय महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को जाता है। 1893 में, ब्रिटिश शासन के दौरान, उन्होंने लोगों को एकजुट करने और राष्ट्रवाद की भावना जगाने के लिए इस त्योहार को एक सामुदायिक आयोजन का रूप दिया। इसका उद्देश्य एक ऐसा मंच प्रदान करना था जहाँ लोग बिना किसी प्रतिबंध के एक साथ आ सकें और देश की आज़ादी के लिए विचार-विमर्श कर सकें।

3. गणपति स्थापना (मूर्तिकरण)
यह उत्सव मूर्ति स्थापना के साथ शुरू होता है, जिसे 'प्राण प्रतिष्ठा' कहा जाता है।

मूर्ति की स्थापना: भक्त अपने घरों या सार्वजनिक पंडालों में भगवान गणेश की मिट्टी या पर्यावरण-अनुकूल मूर्ति स्थापित करते हैं। यह मूर्ति 1.5 दिन से लेकर 10 दिनों तक रखी जाती है।

गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त: इस साल, गणेश पूजा का मध्याह्न मुहूर्त 27 अगस्त को सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक है।

4. पूजा विधि (षोडशोपचार पूजा)
गणेश जी की पूजा 16 चरणों में की जाती है, जिसे षोडशोपचार पूजा कहते हैं।

आह्वान: सबसे पहले भगवान को आमंत्रित किया जाता है।

आसन: उन्हें बैठने के लिए आसन प्रदान किया जाता है।

अर्घ्य और पाद्य: उनके हाथ और पैर धोने के लिए जल अर्पित किया जाता है।

स्नान: मूर्ति को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी का मिश्रण) से स्नान कराया जाता है।

वस्त्र: उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं।

अलंकरण: सिंदूर, चंदन, फूल, और दूर्वा घास से उनका श्रृंगार किया जाता है।

भोग: मोदक, लड्डू और विभिन्न मिठाइयों का भोग लगाया जाता है।

5. गणेश जी को प्रिय वस्तुएं और उनके प्रतीक
भगवान गणेश को कुछ वस्तुएं विशेष रूप से प्रिय हैं, जिनका गहरा प्रतीकात्मक अर्थ है।

दूर्वा घास (Symbol of Purity): दूर्वा घास गणेश जी को अत्यंत प्रिय है। यह शुद्धता, ताजगी और पुनर्जीवन का प्रतीक है।

लाल गुड़हल का फूल (Symbol of Devotion): लाल गुड़हल का फूल उनकी भक्ति और समर्पण को दर्शाता है। यह रंग गणेश जी को शक्ति और ऊर्जा प्रदान करता है।

मोदक (Symbol of Wisdom): मोदक गणेश जी का सबसे प्रिय पकवान है। इसका बाहरी हिस्सा ज्ञान और आंतरिक मधुरता आनंद का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि ज्ञान प्राप्त करने में कठिनाई होती है, लेकिन उसका फल अत्यंत मधुर होता है।

प्रतीक और इमोजी: 🕉�🐘🔔🙏✨

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-27.08.2025-बुधवार.
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