पर्युषण पर्वIरंभ-दिगंबर- पर्यूषण पर्व: दिगंबर जैनों का आत्म-शोधन का महापर्व 🙏-

Started by Atul Kaviraje, August 29, 2025, 06:12:21 PM

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Atul Kaviraje

पर्युषण पर्वIरंभ-दिगंबर-

पर्यूषण पर्व: दिगंबर जैनों का आत्म-शोधन का महापर्व 🙏-

पर्युषण पर्व, जिसे दिगंबर जैन दसलक्षण पर्व के नाम से भी जानते हैं, आत्म-शुद्धि, त्याग और तपस्या का एक महान अवसर है। यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी से शुरू होकर दस दिनों तक चलता है। यह जैनों के लिए सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि अपनी आत्मा को कर्मों के मैल से मुक्त करने का एक गंभीर और पवित्र प्रयास है। दिगंबर जैनों में, पर्यूषण का आरंभ ऋषि पंचमी के दिन से होता है, जो इसे और भी विशेष बनाता है। ✨🧘�♂️

1. पर्यूषण पर्व का धार्मिक महत्व
पर्युषण का शाब्दिक अर्थ है "आत्मा में ठहरना"। यह पर्व हमें बाहरी दुनिया से हटकर अपनी आत्मा की ओर ध्यान केंद्रित करने का अवसर देता है।

आत्म-केंद्रित होना: यह हमें अपने भीतर झाँकने और अपनी गलतियों को पहचानने का समय देता है।

कर्मों का क्षय: इस दौरान किए गए व्रत, तप और ध्यान से संचित कर्मों का क्षय होता है।

2. दसलक्षण धर्म और पर्यूषण
दिगंबर जैन इस पर्व के दौरान दसलक्षण धर्म का पालन करते हैं, जो जैन धर्म के दस मूलभूत गुण हैं।

उत्तम क्षमा: पहले दिन क्षमा की भावना को महत्त्व दिया जाता है।

उत्तम मार्दव: विनय और अहंकार के त्याग का पालन किया जाता है।

उत्तम आर्जव: सरलता और निष्कपटता को अपनाया जाता है।

उत्तम शौच: लोभ से मुक्ति और पवित्रता पर जोर दिया जाता है।

उत्तम सत्य: सत्य का पालन करने का संकल्प लिया जाता है।

उत्तम संयम: इंद्रियों पर नियंत्रण का अभ्यास किया जाता है।

उत्तम तप: आत्म-नियंत्रण के लिए तपस्या की जाती है।

उत्तम त्याग: बाहरी और भीतरी दोनों तरह के त्याग का पालन किया जाता है।

उत्तम आकिंचन्य: सांसारिक वस्तुओं के प्रति अनासक्ति का भाव रखा जाता है।

उत्तम ब्रह्मचर्य: शुद्ध ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है।

3. व्रत और तपस्या
पर्युषण के दस दिनों में जैन अपनी शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए कठोर व्रत रखते हैं।

उपवास: अनेक जैन निराहार और निर्जल उपवास रखते हैं, जिसे उपवास, एक-साला आदि कहा जाता है। 💧❌

रस-त्याग: कुछ लोग केवल एक या दो प्रकार के भोजन का सेवन करते हैं, जिसे एकासन या ब्यासन कहा जाता है।

4. स्वाध्याय और सत्संग
इस पर्व के दौरान धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन और सत्संग का विशेष महत्व है।

जैन दर्शन: जैन मंदिरों और घरों में धार्मिक प्रवचन और कथाएँ होती हैं, जिनमें जैन दर्शन के सिद्धांतों को समझाया जाता है। 📖

सामूहिक प्रार्थना: भक्त सामूहिक रूप से प्रार्थना, पूजा और अभिषेक करते हैं। 👥

5. क्षमावाणी पर्व
पर्युषण पर्व का अंतिम दिन क्षमावाणी पर्व के रूप में मनाया जाता है।

मिच्छामी दुक्कड़म्: इस दिन सभी एक-दूसरे से 'मिच्छामी दुक्कड़म्' कहकर अपने द्वारा किए गए जाने-अनजाने अपराधों के लिए क्षमा मांगते हैं। 🙏

सद्भाव: यह पर्व समाज में सद्भाव और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है।

6. उदाहरण और कथाएँ
पर्युषण के दौरान दसलक्षण धर्म से जुड़ी अनेक कहानियाँ सुनाई जाती हैं, जो हमें इन गुणों को अपनाने की प्रेरणा देती हैं।

राजा श्रेणिक की कथा: राजा श्रेणिक और उनकी रानी चेलना की कथा, जिसमें क्षमा का महत्व बताया गया है, बहुत प्रसिद्ध है।

कर्मों का फल: कहानियों के माध्यम से यह समझाया जाता है कि हमारे कर्मों का फल निश्चित रूप से मिलता है, और पश्चाताप ही उन्हें शुद्ध करने का एकमात्र तरीका है। 📜

7. पर्युषण का सामाजिक महत्व
यह पर्व केवल व्यक्तिगत आध्यात्मिक उन्नति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका गहरा सामाजिक प्रभाव भी है।

मेल-मिलाप: समाज के लोग एक-दूसरे से मिलकर पुरानी कटुता को भूल जाते हैं।

सामूहिक सद्भावना: यह पर्व समाज को एकजुट करता है और सभी के बीच प्रेम और सम्मान का भाव बढ़ाता है। 🫂

8. बच्चों और युवाओं की भागीदारी
इस पर्व में बच्चे और युवा भी उत्साह से भाग लेते हैं।

कठोर तपस्या: आजकल कई युवा भी उपवास और तपस्या में भाग लेते हैं, जो उनकी मजबूत आस्था को दर्शाता है।

धार्मिक शिक्षा: यह पर्व उन्हें अपनी संस्कृति और धर्म के मूल्यों को समझने का अवसर देता है। 👦👧

9. पर्युषण और आधुनिक जीवन
आज के तनावपूर्ण और भागदौड़ भरे जीवन में पर्युषण पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है।

तनाव मुक्ति: यह हमें बाहरी दुनिया के तनाव से दूर होकर अपने अंदर शांति खोजने का मौका देता है। 🧘

आत्म-सुधार: यह हमें अपनी गलतियों पर विचार करने और एक बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देता है। 📈

10. निष्कर्ष
पर्युषण पर्व सिर्फ दस दिनों का उत्सव नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा है। यह हमें सिखाता है कि जीवन का असली उद्देश्य बाहरी सुखों में नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि, त्याग और दूसरों के प्रति क्षमा की भावना में है। यह पर्व हर साल हमें एक नया अवसर देता है, ताकि हम अपने जीवन को अधिक सार्थक और पवित्र बना सकें। 🌸🕊�

✨ सारांश (Emoji) ✨
🙏 पर्युषण पर्व
🧘�♂️ आत्म-शुद्धि
🗓� 10 दिन
📜 दसलक्षण
💧❌ उपवास
🫂 सद्भाव
❤️ क्षमा
📜 कथा
✨ आध्यात्मिक यात्रा
🌸 पवित्र जीवन

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-28.08.2025-गुरुवार.
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