पर्युषण पर्वIरंभ-दिगंबर- पर्यूषण पर्व: दिगंबर जैनों का आत्म-शोधन का महापर्व 🙏-

Started by Atul Kaviraje, August 29, 2025, 06:21:31 PM

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Atul Kaviraje

पर्युषण पर्वIरंभ-दिगंबर-

पर्यूषण पर्व: दिगंबर जैनों का आत्म-शोधन का महापर्व 🙏-

पर्यूषण पर्व पर एक सुंदर कविता-

पहला चरण:
पर्युषण का पर्व है आया,
दस धर्मों का ज्ञान है लाया।
आत्म-शोधन का है ये दिन,
करें हम सब पापों को क्षीण।

अर्थ: पर्यूषण पर्व आ गया है, जो अपने साथ दसलक्षण धर्मों का ज्ञान लाया है। यह आत्म-शुद्धि का दिन है, जिसमें हम अपने सभी पापों को नष्ट करते हैं।

दूसरा चरण:
क्षमा, मार्दव और आर्जव,
उत्तम शौच और सत्य का भाव।
संयम, तप, त्याग का ज्ञान,
आकिंचन्य और ब्रह्मचर्य का मान।

अर्थ: यह पर्व हमें क्षमा, विनय और सरलता का महत्व सिखाता है। उत्तम शौच (पवित्रता) और सत्य की भावना भी इसमें शामिल है। संयम, तपस्या और त्याग के ज्ञान के साथ-साथ, अनासक्ति और ब्रह्मचर्य को भी सम्मान दिया जाता है।

तीसरा चरण:
मंदिरों में सजा है माहौल,
भक्तों का लगा है हुजूम।
स्वाध्याय और तप का योग,
दूर करे मन के सारे रोग।

अर्थ: मंदिरों में एक सुंदर और पवित्र माहौल है, और भक्तों की भीड़ लगी हुई है। धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन और तपस्या का मेल मन के सभी रोगों को दूर करता है।

चौथा चरण:
उपवास की है ये तपस्या,
भक्ति की है ये परिभाषा।
साधना का है ये महाक्षण,
पावन करे हर एक क्षण।

अर्थ: यह पर्व उपवास की एक तपस्या है और भक्ति की सच्ची परिभाषा है। यह साधना का एक महान क्षण है, जो हर एक पल को पवित्र बनाता है।

पांचवाँ चरण:
क्षमावाणी का दिन है महान,
मिच्छामी दुक्कड़म् का है मान।
हर प्राणी से क्षमा है मांगें,
जीवन में खुशियाँ भर लाएँ।

अर्थ: क्षमावाणी का दिन बहुत महान है, और 'मिच्छामी दुक्कड़म्' का बहुत सम्मान है। हम हर प्राणी से माफी मांगते हैं और अपने जीवन में खुशियाँ भर लाते हैं।

छठा चरण:
मन की शुद्धि और पवित्रता,
यही है जैन धर्म की दिव्यता।
दूर हो जाते हैं सब विकार,
जीवन बन जाता है सार।

अर्थ: मन की शुद्धि और पवित्रता ही जैन धर्म की दिव्यता है। इस पर्व से हमारे सभी विकार दूर हो जाते हैं और जीवन अधिक सार्थक बन जाता है।

सातवाँ चरण:
पर्युषण का ये पावन पर्व,
देता है जीवन को नया गौरव।
सद्भाव और प्रेम से भर जाए,
जीवन का हर पल महक जाए।

अर्थ: पर्युषण का यह पवित्र पर्व जीवन को एक नई गरिमा प्रदान करता है। हमारा जीवन सद्भाव और प्रेम से भर जाए और हर पल महक उठे।

--अतुल परब
--दिनांक-28.08.2025-गुरुवार.
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