कलावती देवी जयंती-बेळगाव- कलावती देवी जयंती: त्याग, तपस्या और सेवा का प्रतीक 🙏

Started by Atul Kaviraje, August 29, 2025, 06:22:07 PM

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Atul Kaviraje

कलावती देवी जयंती-बेळगाव-

कलावती देवी जयंती: त्याग, तपस्या और सेवा का प्रतीक 🙏-

कलावती देवी जयंती पर एक सुंदर कविता-

पहला चरण:
कलावती देवी की जयंती आई,
लेकर आई भक्ति की परछाई।
बेलगावी में उत्सव है आज,
माई का है ये पावन राज।

अर्थ: कलावती देवी की जयंती आ गई है, जो अपने साथ भक्ति की गहरी भावना लेकर आई है। आज बेलगावी में उत्सव का माहौल है, और यह माई का पवित्र साम्राज्य है।

दूसरा चरण:
सादगी और प्रेम का है जीवन,
निस्वार्थ सेवा है उनका अर्पण।
हर चेहरे पर देती थीं मुस्कान,
आप ही हो हमारी जान।

अर्थ: आपका जीवन सादगी और प्रेम से भरा है, और निस्वार्थ सेवा ही आपकी सच्ची भेंट है। आप हर चेहरे पर मुस्कान लाती थीं, और आप ही हमारी जान हो।

तीसरा चरण:
आश्रम में गूँज रहे हैं भजन,
प्रसाद पाकर खुश हैं सब जन।
माई की महिमा है अपरंपार,
आप ही हो जीवन का आधार।

अर्थ: आश्रम में भजन गूँज रहे हैं और प्रसाद पाकर सभी लोग खुश हैं। माई की महिमा असीम है, और आप ही हमारे जीवन का आधार हो।

चौथा चरण:
रोगियों को दिया नया जीवन,
गरीबों का किया आपने पालन।
आपकी करुणा है सबसे महान,
आप ही हो हमारी पहचान।

अर्थ: आपने रोगियों को नया जीवन दिया और गरीबों का पालन-पोषण किया। आपकी करुणा सबसे महान है, और आप ही हमारी सच्ची पहचान हो।

पांचवाँ चरण:
ज्ञान का दिया है आपने दीपक,
जो जलता है हर दिन बिना तील।
अंधेरे को दूर करे हर पल,
जीवन को बनाए निर्मल।

अर्थ: आपने ज्ञान का एक ऐसा दीपक दिया है, जो हर दिन बिना तेल के जलता है। यह हर पल अंधेरे को दूर करता है और जीवन को शुद्ध बनाता है।

छठा चरण:
आपका संदेश है प्रेम और सेवा,
यही है जीवन का सबसे बड़ा मेवा।
ना कोई बड़ा, ना कोई छोटा,
सबको आपने एक बराबर माना।

अर्थ: आपका संदेश प्रेम और सेवा है, और यही जीवन का सबसे बड़ा फल है। आपने किसी को बड़ा या छोटा नहीं माना, बल्कि सभी को एक समान समझा।

सातवाँ चरण:
जयंती का ये पावन अवसर,
बनाता है मन को बेहतर।
माई के चरणों में हो समर्पण,
यही है जीवन का सबसे बड़ा अर्पण।

अर्थ: जयंती का यह पवित्र अवसर हमारे मन को और बेहतर बनाता है। माई के चरणों में हमारा समर्पण हो, यही जीवन की सबसे बड़ी भेंट है।

--अतुल परब
--दिनांक-28.08.2025-गुरुवार.
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