सूर्य षष्ठी (छठ पूजा)- हिंदी कविता - 'छठ पर्व की महिमा'-

Started by Atul Kaviraje, August 30, 2025, 02:02:21 PM

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Atul Kaviraje

सूर्य षष्ठी (छठ पूजा)-

हिंदी कविता - 'छठ पर्व की महिमा'-

1. पहला चरण
उषा की लालिमा, भोर का प्रभात,
नदी किनारे है, भक्तों की कतार।
सूप, नारियल, फल, और प्रसाद,
छठ मैया का है, पावन दरबार।

अर्थ: इस पद में सूर्योदय के समय का वर्णन है, जब भक्तगण नदी के किनारे सूप में प्रसाद लेकर छठ मैया के दरबार में खड़े हैं। यह दृश्य बहुत ही पवित्र और मनमोहक है।

2. दूसरा चरण
हाथ जोड़े हैं, मन में है आस,
सूर्य देव की है, असीम प्रकाश।
जीवन में फैले, सुख-समृद्धि का वास,
मिट जाए हर दुख, हर उदास।

अर्थ: भक्त हाथ जोड़कर सूर्य देव से प्रार्थना कर रहे हैं कि उनके जीवन में सुख-समृद्धि आए और सारे दुख दूर हो जाएं।

3. तीसरा चरण
अस्त हो रहा सूरज, दे रहा संदेश,
जीवन में आए, हर एक नया भेष।
ढलती शाम में भी, है एक नया तेज,
छठ पूजा से मिले, शांति का उपदेश।

अर्थ: डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व बताया गया है, जो यह संदेश देता है कि जीवन के हर पड़ाव में एक नई शुरुआत और नई ऊर्जा होती है।

4. चौथा चरण
ठेकुआ और चावल, गुड़ की खीर,
हर घर में है, भक्ति की पीर।
छठ मैया है, सबकी ही मीर,
हर बाधा को हरें, बन के वीर।

अर्थ: इस पद में छठ पूजा के प्रसाद और उसके महत्व का वर्णन है। यह बताया गया है कि छठ मैया हर बाधा को दूर करने वाली हैं।

5. पांचवां चरण
निर्जल व्रत है, कठिन तपस्या,
सूर्य देव को है, अपनी आस्था।
पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है ये गाथा,
भक्ति में लीन है, हर एक का माथा।

अर्थ: यह पद व्रत की कठोरता और भक्तों की अटूट आस्था को दर्शाता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी इस परंपरा को जीवित रखे हुए हैं।

6. छठा चरण
नया सवेरा है, सुनहरी है किरण,
उगते सूरज को, करो समर्पण।
अर्घ्य जल से, करो अर्पण,
सुख, शांति, समृद्धि का, हो तर्पण।

अर्थ: सुबह के समय उगते सूरज को अर्घ्य देने का वर्णन है, जिससे सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

7. सातवां चरण
छठ मैया की महिमा, है निराली,
पूरी हुई है, हर एक मुराद।
प्रकृति का सम्मान, ये है दिवाली,
जीवन में भरे, खुशियों की सौगात।

अर्थ: यह पद छठ मैया की महिमा का वर्णन करता है और बताता है कि यह पर्व प्रकृति के सम्मान का प्रतीक है, जो जीवन में खुशियां लाता है।

--अतुल परब
--दिनांक-29.08.2025-शुक्रवार.
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