कार्तिकेय दर्शन पाप नाशक दिन-29 अगस्त, 2025, शुक्रवार-1-🙏🌅🦚✨🚶‍♂️🧘‍♂️

Started by Atul Kaviraje, August 30, 2025, 02:16:42 PM

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Atul Kaviraje

कार्तिकेय दर्शन पाप नाशक दिन-

कार्तिकेय दर्शन पाप नाशक दिन पर एक विस्तृत और भक्तिपूर्ण लेख-

29 अगस्त, 2025, शुक्रवार

आज का दिन, 29 अगस्त, जिसे धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिकेय दर्शन पाप नाशक दिन के रूप में जाना जाता है, विशेष महत्व रखता है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र, भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। भगवान कार्तिकेय को मुरुगन, स्कंद और सुब्रह्मण्यम जैसे अनेक नामों से जाना जाता है। उनका दर्शन करने मात्र से ही समस्त पापों का नाश होता है और भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह दिन विशेष रूप से दक्षिण भारत में, खासकर तमिलनाडु में, बड़े ही भक्तिभाव से मनाया जाता है। 🙏

1. कार्तिकेय दर्शन दिन का महत्व और परिचय
यह दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा और दर्शन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के कष्ट, रोग और पाप दूर हो जाते हैं।

पापों का नाश: यह मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से भगवान कार्तिकेय के दर्शन करने से जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों का नाश होता है।

शत्रु पर विजय: भगवान कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति कहा जाता है। उनकी पूजा करने से भक्तों को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

संतान सुख: जो दंपति संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं, उनके लिए यह दिन विशेष फलदायी माना जाता है। 👶

2. भगवान कार्तिकेय की पौराणिक कथाएँ
भगवान कार्तिकेय के जन्म और उनके महत्व से जुड़ी कई रोचक कथाएँ हैं।

तारकासुर का वध: एक कथा के अनुसार, तारकासुर नामक राक्षस ने देवताओं को बहुत परेशान कर रखा था। उसका वध केवल भगवान शिव के पुत्र ही कर सकते थे। तब भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ और उन्होंने तारकासुर का वध किया।

छह मुख (षण्मुख): कार्तिकेय जी के छह मुख हैं, जो उनके जन्म से जुड़ी कथा का हिस्सा हैं। इन छह मुखों को ज्ञान, वैराग्य, यश, बल, श्री और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है। ✨

3. पूजा विधि और अनुष्ठान
कार्तिकेय दर्शन पाप नाशक दिन पर कुछ विशेष पूजा-अनुष्ठान किए जाते हैं।

दर्शन और आरती: भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और मंदिर जाकर भगवान कार्तिकेय के दर्शन और आरती करते हैं। 🌅

व्रत का पालन: कई भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और केवल फलाहार ग्रहण करते हैं।

अभिषेक: मंदिर में भगवान कार्तिकेय की मूर्तियों का दूध, दही, शहद और चंदन से अभिषेक किया जाता है। 🍶

कावड़ी: कुछ भक्त 'कावड़ी' लेकर तीर्थयात्रा करते हैं, जिसमें वे अपने कंधों पर दूध या जल लेकर मंदिर तक जाते हैं। 🚶�♂️

4. भगवान कार्तिकेय के प्रतीक और शस्त्र
भगवान कार्तिकेय के कुछ विशेष प्रतीक और शस्त्र हैं, जो उनकी पहचान हैं।

मोर (मयूर): उनका वाहन मोर है, जो सुंदरता, ज्ञान और विजय का प्रतीक है। 🦚

भाला (वेल): उनका मुख्य शस्त्र भाला है, जिसे 'वेल' कहा जाता है। यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

मुर्गा (कुकुट): उनका एक और प्रतीक मुर्गा है, जो भोर और नई शुरुआत का प्रतीक है।

5. दक्षिण भारत में विशेष महत्व
दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय की पूजा का विशेष महत्व है, जहाँ वे प्रमुख देवता माने जाते हैं।

मुरुगन नाम: तमिलनाडु में उन्हें 'मुरुगन' के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है 'सुंदर देवता'।

प्रसिद्ध मंदिर: उनके प्रसिद्ध मंदिरों में से एक पलनी मुरुगन मंदिर और तिरुचेन्दूर मुरुगन मंदिर हैं, जहाँ हजारों भक्त दर्शन के लिए जाते हैं। 🕌

ईमोजी सारांश: 🙏🌅🦚✨🚶�♂️🧘�♂️

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-29.08.2025-शुक्रवार.
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