न्यायिक प्रणाली में सुधार: लंबित मामलों का बोझ और समाधान-1-⚖️⏱️🏛️💻🤝

Started by Atul Kaviraje, August 30, 2025, 02:22:29 PM

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Atul Kaviraje

न्यायिक प्रणाली में सुधार: लंबित मामलों का बोझ और समाधान-

न्याय में विलंब, न्याय का खंडन है। यह उक्ति भारतीय न्यायिक प्रणाली की सबसे बड़ी चुनौती को दर्शाती है: लंबित मामलों का भारी बोझ। भारत में आज भी करोड़ों मामले अदालतों में वर्षों से लंबित हैं, जिससे न्याय की प्रक्रिया धीमी और आम जनता के लिए जटिल बन गई है। यह केवल एक प्रशासनिक समस्या नहीं, बल्कि एक सामाजिक और आर्थिक समस्या भी है, जो नागरिकों के अधिकारों को प्रभावित करती है और देश की प्रगति में बाधा डालती है।

1. लंबित मामलों का बोझ: एक गंभीर चुनौती
भारत की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या एक चौंकाने वाला आंकड़ा प्रस्तुत करती है।

करोड़ों मामले: सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और निचली अदालतों में करोड़ों मामले लंबित हैं। इसमें आपराधिक और दीवानी, दोनों तरह के मामले शामिल हैं। ⚖️

न्याय में देरी: एक मामले को निपटाने में वर्षों या दशकों लग जाते हैं, जिससे पीड़ित और आरोपी, दोनों को ही भारी मानसिक और आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है।

अधिकारों का हनन: न्याय में देरी से 'तेज सुनवाई का अधिकार' (Right to Speedy Trial) का हनन होता है, जो कि भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ⏱️

2. लंबित मामलों के प्रमुख कारण
यह समस्या अचानक नहीं उभरी है, बल्कि इसके पीछे कई जटिल कारण हैं।

न्यायाधीशों की कमी: भारत में प्रति दस लाख जनसंख्या पर न्यायाधीशों की संख्या बहुत कम है, जिससे मौजूदा न्यायाधीशों पर काम का अत्यधिक दबाव रहता है।

बुनियादी ढांचे की कमी: कई अदालतों में आधुनिक तकनीक और पर्याप्त कर्मचारियों की कमी है, जो सुनवाई को धीमा करती है। 🏛�

जटिल प्रक्रिया: हमारी न्यायिक प्रक्रियाएं अक्सर जटिल और लंबी होती हैं, जिसमें कई चरणों से गुजरना पड़ता है।

बार-बार स्थगन: वकीलों के अनुरोध पर मामलों का बार-बार स्थगन होना भी एक बड़ा कारण है। 🗓�

जनसंख्या वृद्धि: जनसंख्या में लगातार वृद्धि के कारण मामलों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है, जिससे न्यायिक प्रणाली पर दबाव बढ़ रहा है।

3. प्रौद्योगिकी का उपयोग: एक समाधान
तकनीक का सही उपयोग न्याय प्रणाली को गति दे सकता है।

ई-कोर्ट परियोजना: 'ई-कोर्ट' परियोजना के माध्यम से केस फाइलिंग, सुनवाई और रिकॉर्ड को डिजिटल किया जा सकता है, जिससे पारदर्शिता और गति बढ़ेगी।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग: छोटे मामलों और गवाहों की गवाही के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग किया जा सकता है, जिससे यात्रा और समय की बचत होगी। 💻

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): AI का उपयोग केस प्रबंधन और दस्तावेजीकरण में किया जा सकता है, जिससे प्रशासनिक कार्यभार कम होगा।

4. न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाना
न्याय प्रणाली को मजबूत करने के लिए न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाना अपरिहार्य है।

रिक्त पदों को भरना: सरकार और न्यायपालिका को मिलकर न्यायाधीशों के रिक्त पदों को प्राथमिकता से भरना चाहिए।

कार्यकाल में वृद्धि: सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकता है, ताकि अनुभवी न्यायाधीशों की सेवा का लाभ मिल सके।

5. वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR)
न्यायपालिका के बाहर के तंत्र भी लंबित मामलों का बोझ कम करने में सहायक हो सकते हैं।

मध्यस्थता (Mediation): आपसी विवादों को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाना, जिससे दोनों पक्ष संतुष्ट हों और कोर्ट का समय बचे।

लोक अदालतें: लोक अदालतें छोटे और सुलह योग्य मामलों को जल्दी निपटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 🤝

ईमोजी सारांश: ⚖️⏱️🏛�💻🤝

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-29.08.2025-शुक्रवार.
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