अमुक्त भरण व्रत- हिंदी कविता: 'अमुक्त भरण की महिमा'-

Started by Atul Kaviraje, August 31, 2025, 11:09:34 AM

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Atul Kaviraje

अमुक्त भरण व्रत-

हिंदी कविता: 'अमुक्त भरण की महिमा'-

(१)
आया है दिन पावन, अमुक्त भरण का,
व्रत ये है सच्चा, त्याग और शरण का।
विष्णु और लक्ष्मी का, होता है ध्यान,
सुख-समृद्धि से भरे, घर-परिवार का दान।
अर्थ: अमुक्त भरण का पवित्र दिन आया है, जो त्याग और भगवान की शरण में जाने का व्रत है।

(२)
भक्ति में डूबा है, आज हर मन,
उपवास में है, आत्मा का जीवन।
ईश्वर की कृपा से, मिटते हैं कष्ट,
अंधकार से जीवन, होता है मुक्त।
अर्थ: आज हर मन भक्ति में डूबा है। उपवास से आत्मा को जीवन मिलता है और भगवान की कृपा से जीवन के कष्ट और अंधकार दूर हो जाते हैं।

(३)
नारी का ये व्रत, है बड़ा महान,
परिवार की खुशी, पति का सम्मान।
त्याग से भरता है, मन का कलश,
हर घर में होता है, खुशियों का रस।
अर्थ: यह व्रत नारी की महानता को दर्शाता है, जो परिवार की खुशी और पति के सम्मान के लिए त्याग करती है।

(४)
दान का महत्व, इस दिन है खास,
भूखों को भोजन, प्यासों को जल आस।
सेवा से मिलता है, सच्चा सुख,
मिलकर ही बनता है, जीवन का रुख।
अर्थ: इस दिन दान और सेवा करने से सच्चा सुख मिलता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है।

(५)
पुराणों में लिखा, इस व्रत का सार,
मिलता है सुख-संपदा, होती है जयकार।
मन की इच्छाएँ, होती हैं पूरी,
जब भक्ति हो सच्ची, नहीं कोई दूरी।
अर्थ: पुराणों में इस व्रत का महत्व बताया गया है, कि सच्ची भक्ति से मन की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।

(६)
चलो सब मिलकर, करें ये व्रत,
सांसारिक बंधन से, हों मुक्त।
मन को शांत करें, आत्मा को शुद्ध,
भगवान के चरणों में, हो लीन बुद्ध।
अर्थ: यह व्रत हमें सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर, मन और आत्मा को शुद्ध करने और भगवान के चरणों में लीन होने का संदेश देता है।

(७)
अमुक्त भरण की, है ये कथा,
जीवन में लाए, सुख और व्यथा।
भगवान की कृपा से, हर दिन हो अच्छा,
हर क्षण हो पवित्र, हर क्षण हो सच्चा।
अर्थ: यह व्रत हमें बताता है कि भगवान की कृपा से जीवन के हर पल में अच्छाई और पवित्रता आती है।

--अतुल परब
--दिनांक-30.08.2025-शनिवार.
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