सुशासन: जनता की अपेक्षाएँ और सरकार की भूमिका- हिंदी कविता: 'सुशासन का स्वप्न'-

Started by Atul Kaviraje, August 31, 2025, 11:12:36 AM

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Atul Kaviraje

सुशासन: जनता की अपेक्षाएँ और सरकार की भूमिका-

हिंदी कविता: 'सुशासन का स्वप्न'-

(१)
जनता की आँखों में, एक नया सपना,
सरकार से उम्मीदें, हो अपनी-अपनी।
न हो भ्रष्टाचार, न हो कोई रिश्वत,
चले हर काम, हो सबमें पारदर्शिता।
अर्थ: जनता चाहती है कि सरकार भ्रष्टाचार मुक्त हो और हर काम में पारदर्शिता हो।

(२)
सेवा हो तेज, न हो कोई देरी,
बने हर काम, हो न कोई हेरी-फेरी।
पासपोर्ट मिले, हो आधार का काम,
नागरिक हो खुश, मिले हर विराम।
अर्थ: लोग सरकारी सेवाओं में तेजी और बिना किसी परेशानी के काम पूरा होना चाहते हैं।

(३)
कानून का शासन, हो हर जगह,
न्याय मिले सबको, न कोई भेदभाव करे।
गरीब और अमीर, हो सब एक समान,
सच्चा सुशासन, हो हर जगह विराजमान।
अर्थ: सभी के लिए एक समान कानून हो, और न्याय बिना किसी भेदभाव के मिले।

(४)
जनता की आवाज, सरकार सुने,
नीति-निर्माण में, राय भी चुने।
मिलकर बनें, देश की तकदीर,
सरकार और जनता, एक हो तस्वीर।
अर्थ: सरकार को नीतियों में जनता की राय को शामिल करना चाहिए, जिससे दोनों मिलकर देश का भविष्य बना सकें।

(५)
तकनीक का सहारा, हो हर कदम पर,
ई-गवर्नेंस से, बदल जाए हर घर।
डेटा से समझें, जनता की जरूरतें,
नए-नए समाधान, हल करें मुश्किलें।
अर्थ: तकनीक का उपयोग करके सरकार को जनता की ज़रूरतों को समझना और समस्याओं को हल करना चाहिए।

(६)
शिक्षा और स्वास्थ्य, हो सबकी प्राथमिकता,
सरकारी स्कूल में, हो गुणवत्ता की महत्ता।
अस्पताल में मिले, सबको इलाज,
बने स्वस्थ भारत, यह है हमारा आज।
अर्थ: सुशासन में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाएं सभी के लिए उपलब्ध और अच्छी गुणवत्ता की होनी चाहिए।

(७)
सुशासन का सपना, हो साकार,
जनता और सरकार, बने एक परिवार।
हर नागरिक को मिले, सम्मान और सुख,
देश की प्रगति, हो हर जगह प्रमुख।
अर्थ: सुशासन के सपने में सरकार और जनता एक परिवार की तरह मिलकर काम करें, ताकि देश का हर नागरिक सुखी और सम्मानित हो।

--अतुल परब
--दिनांक-30.08.2025-शनिवार.
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