ज्येष्ठा गौरी पूजन: भक्ति, श्रद्धा और उल्लास का पर्व 💖🙏-1🏡➡️🔔💖➡️👸👑✨➡️🙏🎶

Started by Atul Kaviraje, September 02, 2025, 02:19:46 PM

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Atul Kaviraje

ज्येष्ठा गौरी पूजन-

ज्येष्ठा गौरी पूजन: भक्ति, श्रद्धा और उल्लास का पर्व 💖🙏-

आज, सोमवार, 1 सितंबर 2025, के शुभ दिन पर हम सभी ज्येष्ठा गौरी पूजन का पावन पर्व मना रहे हैं। यह पर्व महाराष्ट्र और भारत के कई अन्य हिस्सों में गणेश चतुर्थी के दौरान, विशेष रूप से महाराष्ट्र में, अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व माँ गौरी के स्वागत, पूजन और विसर्जन का तीन दिवसीय उत्सव है, जो हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाता है। आइए, इस अनुपम उत्सव को भक्तिभाव से जानें और समझें। ✨🏡

1. ज्येष्ठा गौरी पूजन: परिचय और महत्व 👑
ज्येष्ठा गौरी पूजन, जिसे 'गौरी आवाहन' और 'गौरी पूजा' के नाम से भी जाना जाता है, भाद्रपद मास में गणेश चतुर्थी के बाद आता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य माता गौरी को अपने घर में आमंत्रित करना है ताकि वे अपने भक्तों के जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य का आशीर्वाद बरसा सकें। यह पर्व मुख्यतः तीन दिनों तक चलता है:

पहला दिन: गौरी आवाहन (बुलाना) 🏡

दूसरा दिन: ज्येष्ठा गौरी पूजन (मुख्य पूजा) ✨

तीसरा दिन: गौरी विसर्जन (विदाई) 👋

2. पौराणिक कथा: गौरी के आगमन की कहानी 📖
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार असुरों के अत्याचार से पृथ्वी त्रस्त हो गई थी। तब, असुरों का संहार करने के लिए माता पार्वती ने विभिन्न रूपों में अवतार लिया। गौरी माता को माता लक्ष्मी और माता सरस्वती का रूप माना जाता है, जो अपने भक्तों के घरों में समृद्धि और ज्ञान लेकर आती हैं। ऐसा माना जाता है कि भाद्रपद मास में वे अपनी माँ पार्वती के साथ अपने मायके आती हैं, और इस दौरान उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। यह त्योहार माँ और बेटी के प्रेम का भी प्रतीक है।👩�👧💖

3. तीन दिवसीय उत्सव: गौरी आवाहन, पूजन और विसर्जन 🗓�
यह त्योहार तीन प्रमुख चरणों में संपन्न होता है, और हर चरण का अपना विशेष महत्व है:

पहला दिन (गौरी आवाहन): इस दिन, घर की महिलाएं पारंपरिक रूप से गौरी माता की मूर्तियों या तस्वीरों को स्थापित करती हैं। यह मूर्तियों को जल और अक्षत से भरे कलश के पास रखकर उनका स्वागत करने की एक रस्म है। इस दिन घर में विशेष सजावट की जाती है। 🔔🖼�

दूसरा दिन (ज्येष्ठा गौरी पूजन): यह उत्सव का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन माता की विधिवत पूजा की जाती है। महिलाएं पारंपरिक पोशाकें पहनकर गौरी के सामने विभिन्न प्रकार के पकवानों का नैवेद्य अर्पित करती हैं और आरती करती हैं। यह दिन भक्ति, उल्लास और सामुदायिक भावना से भरा होता है। 🙏🎶

तीसरा दिन (गौरी विसर्जन): तीसरे दिन गौरी माता को विदाई दी जाती है। विसर्जन के पहले भी पूजा-अर्चना की जाती है। भक्त अगले वर्ष फिर से उनके आगमन की कामना के साथ उन्हें विदा करते हैं। यह क्षण थोड़ा भावुक होता है, जैसे घर की बेटी को विदा किया जा रहा हो। 👋🌸

4. गौरी के दो रूप: ज्येष्ठा और कनिष्ठा 👸👸
परंपरा के अनुसार, गौरी माता दो बहनों के रूप में आती हैं:

ज्येष्ठा (बड़ी बहन): इन्हें मुख्य गौरी माना जाता है, जो घर में सुख और समृद्धि लाती हैं। उनकी मूर्ति को विशेष रूप से सजाया जाता है। 👑

कनिष्ठा (छोटी बहन): यह बहन ज्येष्ठा के साथ आती हैं। इन दोनों बहनों की मूर्तियों को साथ में स्थापित किया जाता है। यह जोड़ी परिवार में प्रेम और सामंजस्य का प्रतीक है। 💕

5. गौरी के आगमन की तैयारी और स्वागत 🏡✨
गौरी आवाहन के दिन से ही घरों में विशेष चहल-पहल शुरू हो जाती है।

सफाई और सजावट: घर को अच्छी तरह से साफ किया जाता है और रंगोली, फूलों, और रोशनी से सजाया जाता है। 🎨💡

कलश स्थापना: गौरी माता का आवाहन करने के लिए घर के प्रवेश द्वार पर या पूजा स्थल पर एक कलश स्थापित किया जाता है। यह पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक है। 🏺🌺

पग चिह्न: गौरी के स्वागत के लिए आटे से बने पदचिह्न घर के प्रवेश द्वार से पूजा स्थल तक बनाए जाते हैं, जो यह दर्शाते हैं कि माता घर में प्रवेश कर रही हैं। 👣

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अनुवाद: घर की सफाई और तैयारी (🏡) -> गौरी को बुलाना (🔔) -> उनका स्वागत (💖) -> गौरी के दो रूप (👸👑) -> मुख्य पूजा (✨) -> भक्ति (🙏) -> गीत (🎶) -> विशेष पकवान (🍲) -> विदाई (👋) -> फूलों के साथ (🌸) -> और सामाजिक सद्भाव (🫂)।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-01.09.2025-सोमवार.
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