दोरक धIरण -दोरक धIरणम- शीर्षक: "भक्ति का दीपक"-🪔 🎶 🙏 🤝 🕉️ 🌍 ❤️

Started by Atul Kaviraje, September 03, 2025, 11:13:25 AM

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Atul Kaviraje

दोरक धIरण -दोरक धIरणम-

शीर्षक: "भक्ति का दीपक"-

चरण 1:
मन के कोने में जले एक तेज दीप,
अंधियारे में भी फैलता उसका दीप,
प्रेम की लौ जगाए, अटल और सुदृढ़,
भक्ति का दीपक सतत प्रगट छिप।

अर्थ: यह दीप आत्मा में जलता है, प्रेम‑प्रकाश से अंधकार मिटता है।

चरण 2:
श्रवण की मधुर लहरें कानों में बहे,
कीर्तन‑गीत दिल के तारों को छेड़े,
स्मरण से उठे प्रभु का रूप उजाला,
भक्ति की राह पर मन होता खेले।

अर्थ: सुनने, गीत गाने, स्मरण से प्रभु की छवि हृदय में उजागर होती है।

चरण 3:
पादसेवन से साधा चरणों का मार्ग,
पूजा से प्रकट भक्ति का सार,
वंदन में झुके हृदय उस स्वरूप के,
समर्पण में पाएं परम सत्कार।

अर्थ: चरणों की सेवा, पूजा, प्रणाम से भक्ति का सार उभरता है।

चरण 4:
दास्य भाव से समर्पित हुआ जीवन,
सख्य भाव बना मित्रत्व‑स्नेह अचल,
दिल से निकली आत्म‑निवेदन मूरत,
ईश्वर से जुड़ी आत्म की पहचान निश्चल।

अर्थ: सेवा, मित्रत्व और आत्म‑समर्पण से ह्रदय ईश्वर से जुड़ता है।

चरण 5:
भाव‑शुद्धि से बढ़ता प्रेम‑बन्धन,
भक्ति‑सागर में मिलती आत्म‑सुख शाश्वत,
नाम‑जाप‑मन्त्र हृदय स्पंदित करे,
जीवन की यात्रा लगे अब अमृतवत।

अर्थ: शुद्ध भाव से प्रेम‑बंधन, आत्म‑शांति, जीवन में अमृत‑अनुभूति।

चरण 6:
जात‑धर्म की सीमा टूटे हर प्रेम में,
भक्ति‑गीत गूंजें नगर‑ग्राम में,
प्रेम‑माधुर्य से इक समानता बहे,
आत्मा‑आत्मिक जुड़े हर प्राण में।

अर्थ: भक्ति सबको जोड़ती है, प्रेम‑माधुर्य से समानता स्थापित होती है।

चरण 7:
नवधा भक्ति‑रूपों से सजता मन,
समर्पण‑प्रेम से बनता जीवन धन,
ये दीप जलाए अन्धकार को दूर,
भक्ति‑भाव जीवन को करे पूर्ण।

अर्थ: नवधा भक्ति और समर्पण से जीवन धन्य होता है, अंधकार दूर होता है।

इमोजी सारांश (हर चरण‑लिए):

1️⃣  2️⃣  3️⃣  4️⃣  5️⃣  6️⃣  7️⃣ 
🪔  🎶  🙏  🤝  🕉�  🌍  ❤️

--अतुल परब
--दिनांक-02.09.2025-मंगळवार.
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