देव मामलेदार यशवंत महाराज प्रगट सोहळा-सटाणा, नाशिक-1-🙏👑📜✨🎶💖⚖️🕊️🌟😇🤝

Started by Atul Kaviraje, September 03, 2025, 11:39:33 AM

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Atul Kaviraje

देव मामलेदार यशवंत महाराज प्रगट सोहळा-सटाणा, नाशिक-

देव मामलेदार यशवंत महाराज प्रगट सोहळा: श्रद्धा, सेवा और न्याय का महापर्व-

दिनांक: 02 सितंबर, 2025, मंगलवार स्थान: सटाणा, नासिक, महाराष्ट्र
नासिक जिले के सटाणा में 02 सितंबर, 2025 को एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन हो रहा है - देव मामलेदार यशवंत महाराज प्रगट सोहळा। यह पर्व केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक ऐसे महान संत और प्रशासक को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने अपने जीवन को सत्यनिष्ठा, सेवा और न्याय के सिद्धांतों के लिए समर्पित कर दिया। इस दिन, उनके दिव्य रूप के प्रकटीकरण का स्मरण किया जाता है, जिसने आम लोगों के दिलों में उनके प्रति अटूट श्रद्धा पैदा की।

1. परिचय: कौन हैं देव मामलेदार यशवंत महाराज? 🙏📜
यशवंतराव महाराज, जिन्हें लोग श्रद्धा से 'देव मामलेदार' कहते हैं, 19वीं सदी के एक असाधारण व्यक्तित्व थे। वे ब्रिटिश शासनकाल में एक ईमानदार और न्यायप्रिय मामलेदार (प्रशासकीय अधिकारी) थे। उनका जीवन सत्य, सेवा और ईमानदारी का एक अद्भुत उदाहरण है। 'देव' शब्द उनकी अलौकिक शक्तियों और दैवीय गुणों को दर्शाता है, जबकि 'मामलेदार' उनकी प्रशासनिक भूमिका को। उनके नाम के साथ 'देव' इसलिए जुड़ा क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में कई चमत्कार दिखाए और लोगों की सहायता की, जिससे वे एक प्रशासक के साथ-साथ एक संत भी बन गए।

2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: प्रशासक से संत तक का सफर ⏳✨
यशवंतराव महाराज का जन्म 1803 में नासिक के पास हुआ था। उन्होंने अपनी ईमानदारी और निष्ठा से ब्रिटिश अधिकारियों का भी दिल जीत लिया था। वे अपनी सेवा के दौरान लोगों की समस्याओं को समझते थे और उन्हें मानवीय दृष्टिकोण से हल करते थे। जब अकाल पड़ा और लोग भुखमरी से जूझ रहे थे, तब उन्होंने सरकारी खजाने से गरीबों की मदद की, जिसके लिए उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया। लेकिन उनके दैवीय हस्तक्षेप और चमत्कारों ने उन्हें न केवल आरोपमुक्त किया, बल्कि उन्हें 'देव मामलेदार' की उपाधि भी दिलाई।

3. प्रगट सोहळा का महत्व: एक दिव्य प्रकटीकरण 💖👑
यह पर्व उस दिन का स्मरण कराता है जब यशवंत महाराज ने अपने दैवीय रूप का सार्वजनिक रूप से प्रकटीकरण किया। यह उस घटना से जुड़ा है जब ब्रिटिश अधिकारियों ने उनके कार्यों की जाँच की, और एक चमत्कार के रूप में, अनाज के गोदाम में अनाज फिर से भर गया, जिससे उनकी सत्यनिष्ठा सिद्ध हुई। यह घटना उनकी अलौकिक शक्तियों और ईश्वर के प्रति उनकी अटूट भक्ति का प्रमाण थी। यह सोहळा उसी दिव्य क्षण का उत्सव है, जो भक्तों की आस्था को और भी मजबूत करता है।

4. उत्सव की तैयारियाँ: आस्था का रंग 🎨🔔
प्रगट सोहळे की तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जाती है।

सफाई और सजावट: मंदिर परिसर, सड़कों और घरों को साफ-सुथरा करके फूलों, रंगोली और रोशनी से सजाया जाता है।

ध्वजारोहण: उत्सव के आरंभ में मंदिर पर पवित्र ध्वज फहराया जाता है।

भक्तों का आगमन: देश-विदेश से भक्त सटाणा आना शुरू कर देते हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में एक उत्सव का माहौल बन जाता है।

5. मुख्य धार्मिक कार्यक्रम: भक्ति और उत्साह का संगम 🎶🕊�
सोहले के दौरान कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

शोभा यात्रा: महाराज की पालकी को लेकर एक भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है, जिसमें लाखों भक्त शामिल होते हैं। यह यात्रा पूरे नगर में घूमती है और लोग फूलों की वर्षा करके उनका स्वागत करते हैं।

आरती और कीर्तन: मंदिर में दिनभर आरती, भजन, कीर्तन और सत्संग का आयोजन होता है, जिसमें भक्तगण भक्ति गीतों में लीन रहते हैं।

महाप्रसाद (भंडारा): सभी भक्तों के लिए भोजन की व्यवस्था की जाती है, जिसे महाप्रसाद या भंडारा कहा जाता है। यह सेवा और समानता का प्रतीक है।

Emoji सारंश:
🙏👑📜✨🎶💖⚖️🕊�🌟😇🤝

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-02.09.2025-मंगळवार.
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