निसर्गदत्त महाराज पुण्यतिथी: 'मैं हूँ' के बोध का महापर्व-1-🙏✨💖💡📚🏡🧘‍♂️🌍🕊️

Started by Atul Kaviraje, September 03, 2025, 11:52:33 AM

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Atul Kaviraje

निसर्गदत्त महाराज पुण्यतिथी-

निसर्गदत्त महाराज पुण्यतिथी: 'मैं हूँ' के बोध का महापर्व-

दिनांक: 02 सितंबर, 2025, मंगलवार
आज, 02 सितंबर, 2025, मंगलवार को, आध्यात्मिक जगत के एक विलक्षण संत, श्री निसर्गदत्त महाराज की पुण्यतिथी मनाई जा रही है। मुंबई के एक साधारण तंबाकू व्यापारी, श्री मारुति शिवराम कंबली, ने 'मैं हूँ' के सरल बोध से परम सत्य को जाना और विश्व को अद्वैत वेदांत का गहन ज्ञान दिया। उनकी पुण्यतिथी, उनके अमर संदेश और आध्यात्मिक विरासत का स्मरण करने का एक पवित्र अवसर है।

1. परिचय: एक साधारण जीवन, असाधारण बोध 🙏✨
निसर्गदत्त महाराज (1897-1981) एक ऐसे गुरु थे जिन्होंने किसी भी धार्मिक आडंबर या पंथ का पालन नहीं किया। उन्होंने अपने गुरु, श्री सिद्धाग्रमेश्र महाराज के मार्गदर्शन में आत्म-बोध प्राप्त किया। उनकी शिक्षाएँ सीधी और स्पष्ट थीं, जो सीधे 'मैं कौन हूँ?' के प्रश्न पर केंद्रित थीं। उनकी पुण्यतिथी उनके सरल जीवन और गहन दर्शन को समर्पित है।

2. जीवन-दर्शन: 'मैं हूँ' का ज्ञान 💖💡
महाराज का पूरा दर्शन एक ही मूल मंत्र पर आधारित था: 'मैं हूँ' (I Am)।

अस्तित्व का बोध: वे कहते थे कि अपनी पहचान को 'शरीर' या 'मन' से जोड़ना अज्ञान है। वास्तविक ज्ञान 'मैं हूँ' के बोध में है, जो हर वस्तु से पहले और परे है।

स्वयं की खोज: उन्होंने शिष्यों को बाहर की दुनिया में ईश्वर को खोजने के बजाय अपने भीतर देखने और अपने सच्चे स्वरूप को जानने की प्रेरणा दी।

3. साधना का मार्ग: सहजता और सरलता 🧘�♂️🕊�
निसर्गदत्त महाराज ने कोई जटिल साधना पद्धति नहीं बताई। उनका मार्ग अत्यंत सहज था।

गुरु की कृपा: उन्होंने हमेशा अपने गुरु की कृपा को ही अपने बोध का कारण बताया।

आत्म-जागरूकता: उन्होंने अपने शिष्यों को केवल 'मैं हूँ' के विचार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा, जिससे धीरे-धीरे मन की सभी अवधारणाएँ और भ्रम समाप्त हो जाते हैं।

4. मुंबई का 'ईश्वर-दर्शन' केंद्र 🏙�🏡
मुंबई में उनके निवास स्थान, जहाँ वे अपनी दुकान चलाते थे, उनका आध्यात्मिक केंद्र बन गया था।

साधारण स्थान: यह कोई भव्य आश्रम या मठ नहीं था, बल्कि एक सामान्य घर का कमरा था।

सार्वभौमिक द्वार: यहाँ हर धर्म, जाति और देश के लोग आते थे, जिन्हें वे बिना किसी भेदभाव के ज्ञान देते थे।

5. पुण्यतिथी का मुख्य कार्यक्रम 🎶🔔
निसर्गदत्त महाराज की पुण्यतिथी एक शांत और गहन आध्यात्मिक आयोजन होता है।

ध्यान और सत्संग: इस दिन विशेष ध्यान सत्रों और सत्संगों का आयोजन होता है, जहाँ उनके प्रवचनों को सुना जाता है।

स्मरण: उनके शिष्य और अनुयायी उनके जीवन, शिक्षाओं और अनुभवों का स्मरण करते हैं।

Emoji सारंश:
🙏✨💖💡📚🏡🧘�♂️🌍🕊�🌟

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-02.09.2025-मंगळवार.
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