मीडिया की भूमिका: लोकतंत्र का चौथा स्तंभ या पक्षपाती आवाज?-1-🏛️➡️💡➡️📢➡️💰➡️⚖️

Started by Atul Kaviraje, September 04, 2025, 02:27:39 PM

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Atul Kaviraje

मीडिया की भूमिका: लोकतंत्र का चौथा स्तंभ या पक्षपाती आवाज?-

1. परिचय: लोकतंत्र का प्रहरी
लोकतंत्र में मीडिया को अक्सर 'चौथा स्तंभ' कहा जाता है। यह विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बाद समाज को सूचित, शिक्षित और जागरूक करने का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह आवश्यक है कि मीडिया निष्पक्ष और स्वतंत्र हो। यह जनता और सरकार के बीच एक पुल का काम करता है, ताकि जनता की आवाज सरकार तक और सरकार की नीतियां जनता तक पहुँच सकें। 🤔💡

1.1. ऐतिहासिक संदर्भ: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उस समय के अखबारों ने लोगों में देशभक्ति की भावना जगाई और अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट किया।

1.2. आदर्श भूमिका: एक आदर्श मीडिया समाज के मुद्दों को उठाता है, सत्ता से सवाल पूछता है और कमजोर वर्गों की आवाज बनता है।

2. मीडिया की वर्तमान स्थिति
आज के दौर में मीडिया की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। सोशल मीडिया, 24x7 समाचार चैनल और डिजिटल प्लेटफॉर्म के इस युग में खबरें तेजी से फैलती हैं, लेकिन उनकी गुणवत्ता और निष्पक्षता पर अक्सर संदेह किया जाता है। 📢📱

2.1. सूचना का ओवरलोड: हमें हर पल इतनी सारी जानकारी मिलती है कि सच और झूठ में फर्क करना मुश्किल हो जाता है।

2.2. टीआरपी और सनसनीखेज खबरें: टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स) की होड़ में कई चैनल सनसनीखेज खबरों को प्राथमिकता देते हैं, जिससे गंभीर मुद्दों से ध्यान हट जाता है।

3. 'पक्षपाती आवाज' का उदय
वर्तमान में, मीडिया का एक बड़ा हिस्सा किसी न किसी राजनीतिक या व्यावसायिक हित से प्रभावित होता दिखाई देता है। इसे 'पक्षपाती आवाज' के रूप में देखा जा रहा है। यह पक्षपात कई रूपों में हो सकता है:

3.1. राजनीतिक पक्षपात: कुछ मीडिया चैनल किसी खास राजनीतिक दल का समर्थन करते हैं और विरोधी दलों की आलोचना करते हैं। इससे जनता को एकतरफा जानकारी मिलती है।

3.2. कॉर्पोरेट प्रभाव: बड़े-बड़े कॉर्पोरेट घराने मीडिया कंपनियों को नियंत्रित करते हैं, जिससे उनके हितों से जुड़ी खबरें ही प्रकाशित होती हैं। 💰🏢

4. 'पेड न्यूज़' और उसका प्रभाव
'पेड न्यूज़' यानी पैसे लेकर खबर छापना, मीडिया के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। यह पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। 💸📰

4.1. लोकतंत्र पर खतरा: जब खबरें खरीदी-बेची जाती हैं, तो जनता सही निर्णय नहीं ले पाती, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।

4.2. विश्वास की कमी: इससे मीडिया की विश्वसनीयता कम होती है और लोग धीरे-धीरे इस पर विश्वास करना बंद कर देते हैं।

5. सोशल मीडिया की भूमिका
सोशल मीडिया ने पत्रकारिता का परिदृश्य बदल दिया है। यह एक तरफ लोगों को अपनी बात रखने का मंच देता है, तो दूसरी तरफ गलत सूचना और 'फेक न्यूज़' को बढ़ावा देता है। 🗣�🌐

5.1. नागरिक पत्रकारिता: हर व्यक्ति आज एक पत्रकार बन सकता है, जिससे खबरें तेजी से फैलती हैं।

5.2. फेक न्यूज़ का खतरा: बिना किसी सत्यापन के खबरें तेजी से वायरल होती हैं, जिससे समाज में भ्रम और नफरत फैल सकती है।

Emoji सारansh
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--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-03.09.2025-बुधवार.
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