दादाभाई नौरोजी: भारत के 'वृद्ध पितामह' - एक दूरदर्शी शिल्पकार 🇮🇳👴📚💰-2-✊🌍💡

Started by Atul Kaviraje, September 05, 2025, 02:54:00 PM

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Atul Kaviraje

दादाभाई नौरोजी: भारत के 'वृद्ध पितामह' - एक दूरदर्शी शिल्पकार 🇮🇳👴📚💰-

जन्म: 4 सितंबर 1825

6. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भूमिका: स्वराज की पहली पुकार ✊
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के समय से ही दादाभाई नौरोजी का उसमें सक्रिय योगदान था।

तीन बार अध्यक्ष: वे 1886, 1893 और 1906 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे। 🇮🇳 congress

'स्वराज' की मांग: 1906 के कलकत्ता अधिवेशन में उन्होंने पहली बार 'स्वराज' (Self-rule) शब्द का प्रयोग किया और भारतीयों के लिए पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की। यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण क्षण था।

7. शिक्षा और पत्रकारिता में योगदान: ज्ञान वृद्धि का ध्येय 📰
दादाभाई नौरोजी ने शिक्षा और पत्रकारिता के माध्यम से भी समाज और देश की सेवा की।

शैक्षणिक प्रसार: उन्होंने पश्चिमी शिक्षा को भारत में फैलाने का प्रयास किया, क्योंकि उन्हें लगता था कि शिक्षा से ही भारतीय प्रगति कर सकते हैं।

समाचार पत्रों से संबंध: उन्होंने कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में लेख लिखे, जिनके माध्यम से उन्होंने अपने विचार और ड्रेन सिद्धांत लोगों तक पहुँचाए।

8. विरासत और प्रभाव: एक चिरंतन प्रेरणा ⭐
दादाभाई नौरोजी की विरासत बहुत समृद्ध है।

नेतृत्व पर प्रभाव: महात्मा गांधी, गोपाल कृष्ण गोखले और अन्य कई युवा नेताओं पर उनके विचारों और कार्य का बड़ा प्रभाव पड़ा।

आर्थिक राष्ट्रवाद: उनका 'ड्रेन सिद्धांत' भारतीय राष्ट्रवाद का आधार बना और भारतीयों को ब्रिटिश शासन का असली स्वरूप समझाने में महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ।

अंतर्राष्ट्रीय पहचान: ब्रिटिश संसद में पहुँचने वाले वे पहले भारतीय थे, जिससे उन्होंने भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

9. प्रमुख घटनाएँ और उपलब्धियाँ (कालानुक्रमिक सारांश) 🗓�
1845: एलफिन्स्टन कॉलेज में पहले भारतीय प्रोफेसर।

1850: ज्ञान प्रसारक मंडली की स्थापना।

1855: व्यवसाय के लिए इंग्लैंड प्रस्थान।

1865: लंदन इंडियन सोसायटी की स्थापना।

1886: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष।

1892: ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स के पहले भारतीय सांसद।

1893: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दूसरे अध्यक्ष।

1901: "पॉवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया" प्रकाशित।

1906: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तीसरे अध्यक्ष और 'स्वराज' की घोषणा।

1917: निधन।

10. निष्कर्ष और समापन: एक दूरदर्शी नेता को सलाम 🙏
दादाभाई नौरोजी ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने ब्रिटिश शासन के शोषण को वैज्ञानिक तरीके से सिद्ध किया और भारतीयों में राष्ट्रीय भावना जागृत की। उनके 'स्वराज' का सपना और नैतिक मूल्यों के प्रति उनकी निष्ठा आज भी हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। दादाभाई नौरोजी केवल इतिहास का एक नाम नहीं, बल्कि भारतीय राष्ट्रवाद का एक प्रतीक और दूरदृष्टि के शिल्पकार हैं।

Emoji Saransh: 🇮🇳👴📚💰🇬🇧 parliament 📣 Swaraj ✊🌍💡✨❤️🙏

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-04.09.2025-गुरुवार.
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