दादाभाई नौरोजी-शीर्षक: "प्रज्ञासूर्य की प्रभा" ☀️🇮🇳-🗣️✊✨🚩🙏👴🇮🇳📚💰🇬🇧

Started by Atul Kaviraje, September 05, 2025, 02:55:20 PM

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Atul Kaviraje

दादाभाई नौरोजी पर हिंदी कविता-

शीर्षक: "प्रज्ञासूर्य की प्रभा" ☀️🇮🇳-

चरण 1:
चौथे सितंबर को जन्मे, अठारह सौ पच्चीस का साल था,
मुंबई की भूमि पर दादाभाई, ज्ञान का दीप जला था।
वृद्ध पितामह भारत के, नाम से गूँजे जग में,
दूरदर्शी नेता वो, दिखे हमेशा अग्रिम रण में।
अर्थ: 4 सितंबर 1825 को मुंबई में जन्मे दादाभाई नौरोजी ज्ञान का दीपक थे। उन्हें भारत के वृद्ध पितामह कहा गया और उन्होंने हमेशा दूरदर्शिता से नेतृत्व किया।

चरण 2:
एलफिन्स्टन के प्राध्यापक, गणित के पाठ पढ़ाए,
समाज सेवा के कार्य को, वहीं उन्होंने पहचाने।
स्त्रियों की शिक्षा हेतु, दिया उन्होंने बड़ा बल,
सामाजिक सुधारों का, था उनको सच्चा हल।
अर्थ: एलफिन्स्टन कॉलेज में गणित के प्राध्यापक रहते हुए ही उन्होंने समाज सेवा का महत्व पहचाना। स्त्रियों की शिक्षा को उन्होंने समर्थन दिया और सामाजिक सुधारों के लिए कार्य किया।

चरण 3:
इंग्लैंड जा कर देखा, कैसा था शोषण भारी,
'ड्रेन सिद्धांत' बताया, संपत्ति गई सारी।
'पॉवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल', ग्रंथ उन्होंने लिखा था,
अंग्रेजों की लूट का, तब पर्दाफाश हुआ था।
अर्थ: इंग्लैंड में रहते हुए उन्होंने देखा कि अंग्रेजों द्वारा भारत का कैसे शोषण हो रहा है। उन्होंने 'ड्रेन सिद्धांत' प्रस्तुत किया और 'पॉवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल' नामक ग्रंथ लिखकर ब्रिटिश लूट का पर्दाफाश किया।

चरण 4:
ब्रिटिश संसद में वो, पहले एशियाई सांसद,
भारत की आवाज़ गूँजी, किया बड़ा बुलंद।
समानता की मांग, नौकरियों में अधिकार,
न्याय के लिए लड़े, जीता लोगों का प्यार।
अर्थ: वे ब्रिटिश संसद में चुने गए पहले एशियाई सांसद थे। वहाँ उन्होंने भारत की आवाज़ बुलंद की और नौकरियों में समान अधिकार व न्याय के लिए लड़ाई लड़ी।

चरण 5:
कांग्रेस के अध्यक्ष तीन बार, दिया नेतृत्व का दान,
अठारह सौ छियासी, तिरानवे, उन्नीस सौ छह, बढ़ाया देश का मान।
कलकत्ता की भूमि पर, 'स्वराज' का नारा लगाया,
स्वतंत्रता की पहली पुकार, तब उन्होंने सुनाया।
अर्थ: उन्होंने तीन बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाला (1886, 1893, 1906) और देश का मान बढ़ाया। 1906 के कलकत्ता अधिवेशन में उन्होंने 'स्वराज' का नारा दिया, जो स्वतंत्रता के लिए पहली स्पष्ट पुकार थी।

चरण 6:
गांधीजी को भी प्रेरणा, उनके कार्य से मिली थी,
आर्थिक विचारों से, उन्हें एक दिशा मिली थी।
राष्ट्रवाद का दीपक, उन्होंने प्रज्ज्वलित रखा,
अंधेरे में भारतीयों को, मार्ग उन्होंने दिखाया।
अर्थ: महात्मा गांधी सहित कई नेताओं को उनके कार्य से प्रेरणा मिली। उनके आर्थिक विचारों ने राष्ट्रवाद को नई दिशा दी और भारतीयों को अंधेरे में मार्ग दिखाया।

चरण 7:
ज्ञानवृद्धि के प्रतीक वो, समाज सुधारक महान,
स्वतंत्रता का पहला स्वप्न, देखा था उन्होंने कठोर।
दादाभाई नौरोजी ये, अमर रहे ये नाम,
भारतमाता के सुपुत्र को, लाखों सलाम आज!
अर्थ: दादाभाई नौरोजी ज्ञान वृद्धि और समाज सुधार के प्रतीक थे। उन्होंने स्वतंत्रता का पहला स्वप्न देखा और उसके लिए कठोर परिश्रम किया। भारत के इस महान सपूत को आज अपने लाखों सलाम।

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--अतुल परब
--दिनांक-04.09.2025-गुरुवार.
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