बालमुकुंद बालावधूत पादुका स्थापन दिन: एक आध्यात्मिक उत्सव- बालमुकुंद की कृपा-

Started by Atul Kaviraje, September 05, 2025, 03:28:05 PM

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Atul Kaviraje

बालमुकुंद बालावधूत पादुका स्थापन दिन-कोल्हापूर-

बालमुकुंद बालावधूत पादुका स्थापन दिन: एक आध्यात्मिक उत्सव-

बालमुकुंद की कृपा-

चरण 1:
कोल्हापूर की धरती, आज पावन,
बालमुकुंद बालावधूत की है यादें।
पादुका स्थापन का शुभ दिन आया,
भक्ति का सागर, हर दिल में समाया।

अर्थ: कोल्हापूर की धरती आज पवित्र हो गई है, जहाँ बालमुकुंद बालावधूत की यादें गूंज रही हैं। पादुका स्थापना के इस शुभ दिन पर भक्ति का सागर हर भक्त के दिल में समा गया है। ✨

चरण 2:
सांसारिक सुखों का किया त्याग,
आध्यात्मिक जीवन का लिया राग।
ज्ञान की ज्योति उन्होंने जलाई,
सच्ची राह सबको दिखाई।

अर्थ: संत बालमुकुंद ने सांसारिक सुखों का त्याग कर आध्यात्मिक जीवन को अपनाया। उन्होंने ज्ञान की ज्योति जलाई और सभी को जीवन की सही राह दिखाई। 🧘�♂️

चरण 3:
पादुकाओं में है उनकी शक्ति,
हर भक्त की है यही है भक्ति।
दूर से चलकर आते हैं भक्त,
पाने को उनकी कृपा का वरदान।

अर्थ: संत की पादुकाओं में उनकी आध्यात्मिक शक्ति है। यही कारण है कि दूर-दूर से भक्त यहाँ चलकर आते हैं ताकि वे उनकी कृपा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। 👣

चरण 4:
भजन, कीर्तन की मधुर धुनें,
मन को शांति और सुकून दें।
हरिनाम की गूँज है निराली,
आत्मा को मिले है मोक्ष की राह।

अर्थ: इस उत्सव में बजने वाले भजन और कीर्तन की मधुर धुनें मन को शांति और सुकून प्रदान करती हैं। हरिनाम की गूँज आत्मा को मोक्ष के मार्ग पर ले जाती है। 🎶

चरण 5:
महाप्रसाद की महिमा है न्यारी,
सबको मिलती है खुशियाँ प्यारी।
भेदभाव की दीवारें हैं गिरी,
एकता की यह कहानी है प्यारी।

अर्थ: महाप्रसाद की महिमा बहुत विशेष है, जिसे खाकर सभी को खुशी मिलती है। इस प्रसाद के वितरण से भेदभाव की दीवारें गिर जाती हैं और सामाजिक एकता की एक खूबसूरत कहानी बनती है। 🍚

चरण 6:
प्रवचन और सत्संग का आयोजन,
ज्ञान का होता है यहाँ संचार।
अंधकार से प्रकाश की ओर,
भक्तों का होता है मार्गदर्शन।

अर्थ: प्रवचन और सत्संग के माध्यम से भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है। यह ज्ञान उन्हें जीवन के अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाता है और सही रास्ता दिखाता है। 🧠

चरण 7:
उत्सव का होता है भव्य समापन,
आरती, प्रार्थना, और आत्म-अर्पण।
सुख-शांति का आशीष माँगे,
बालमुकुंद की कृपा सदा रहे।

अर्थ: इस उत्सव का समापन एक भव्य आरती, प्रार्थना और आत्म-समर्पण के साथ होता है। सभी भक्त संत से सुख और शांति का आशीर्वाद मांगते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उनकी कृपा हमेशा बनी रहे। 🙏

🙏 सारंश: श्रद्धा, भक्ति, त्याग, एकता, शांति, प्रेरणा, उत्सव, ज्ञान, प्रेम, joy! 🙏

--अतुल परब
--दिनांक-04.09.2025-गुरुवार.
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