जुआ: एक हिंदी कविता 📜-🃏🎲💰➡️📉💔➡️❌🛑➡️💖💪

Started by Atul Kaviraje, September 07, 2025, 07:50:21 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

जुआ: एक हिंदी कविता 📜-

चरण 1
किस्मत का खेल है, या है ये चाल,
पैसों का दांव, एक गहरा जाल।
जीत की आशा, मन में है बार-बार,
पर हार ही देती, बस दुख हजार।
अर्थ: यह चरण बताता है कि जुआ भाग्य का खेल लगता है, पर असल में यह पैसों का एक गहरा जाल है। जीतने की उम्मीद तो होती है, पर अंत में सिर्फ दुख और हार ही मिलती है।

चरण 2
ताश की पत्ती, पासे की चाल,
बदलती किस्मत, हर एक पल।
रंगीन दुनिया, पर भीतर खाली,
खुशी का मुखौटा, पर आँखें काली।
अर्थ: इसमें ताश के पत्तों और पासे के खेल का वर्णन है। यह बताता है कि जुए की दुनिया बाहर से तो रंगीन लगती है, पर अंदर से खोखली है और खुशी का दिखावा करती है।

चरण 3
धीरे-धीरे बढ़ती, ये कैसी प्यास,
लत बन जाती, ये कैसी आस।
परिवार से दूरी, अपनों से बैर,
बना देता इंसान को, खुद का ही गैर।
अर्थ: यह चरण जुए की लत के बारे में है। यह बताता है कि यह धीरे-धीरे एक लत बन जाती है, जो परिवार से दूर कर देती है और व्यक्ति को खुद से ही पराया कर देती है।

चरण 4
कर्ज का बोझ, मन में है डर,
पैसों की कमी, खाली है घर।
सुकून है खोया, नींदें हराम,
बस एक ही धुन, कब मिलेगा इनाम।
अर्थ: यह जुए के वित्तीय परिणामों को दिखाता है। जुए के कारण कर्ज बढ़ जाता है, घर में पैसे की कमी हो जाती है और व्यक्ति की नींद और शांति छिन जाती है।

चरण 5
आओ समझें, ये कितना है बुरा,
ये रास्ता है, जो जाता है नीचे पूरा।
धन, मान, सम्मान, सब कुछ है जाता,
जो इस राह पर एक बार है आता।
अर्थ: यह जुए के बुरे प्रभावों को समझने का आह्वान है। यह बताता है कि इस रास्ते पर चलने वाले का धन, सम्मान और सब कुछ नष्ट हो जाता है।

चरण 6
छोड़ो ये आदत, ये खेल है खतरनाक,
बर्बादी का रास्ता, ये है आत्मघाती।
ज्ञान और समझ, दिल में जगाओ,
इस जाल से खुद को, तुम बचाओ।
अर्थ: यह चरण जुए की आदत छोड़ने की सलाह देता है। यह बताता है कि यह एक आत्मघाती खेल है और ज्ञान और समझ से ही इस जाल से बचा जा सकता है।

चरण 7
जीवन है अनमोल, इसे ना गंवाओ,
मेहनत से अपनी, राह बनाओ।
सच्चाई की जीत, मेहनत की शान,
यही है जीवन का, सही पहचान।
अर्थ: अंतिम चरण जीवन की महत्ता बताता है। यह संदेश देता है कि जुए के बजाय मेहनत और ईमानदारी से जीवन में सफलता हासिल करनी चाहिए, क्योंकि यही जीवन की सच्ची पहचान है।

कविता सार संक्षेप (इमोजी): 🃏🎲💰➡️📉💔➡️❌🛑➡️💖💪

--अतुल परब
--दिनांक-07.09.2025-रविवार.
===========================================